जो मन में आया वह सब आपके सामने. सर पर मैला ढ़ोते लोगों को देखकर मन कराह उठता है. मुझे लगता है कि सहानुभूति के स्थान पर स्वानुभूति अपनाना बेहतर है. बढ़ती जनसंख्या, पर्यावरण का विनाश और पानी की बर्बादी बहुत तकलीफ देती है. दर्द उस समय और भी बढ़ जाता है जब कानून का पालन कराने वाले ही उसे तुड़वाते हैं.
Wednesday, April 13, 2011
हिन्दी है न, इसलिये.....
अब यह भाग्यशाली "शाली" कौन हैं, पता नहीं, लेकिन लगता है "शीला" को ही "शाली" लिख दिया और "सुपर" को "सपर" लिख दिया गया है. खबर का शीर्षक देखिये. ऐसी छोटी-मोटी गलतियां तो हिन्दी में, हिन्दी के साथ, हिन्दी वालों के साथ हो ही जाती हैं.
मीडिया से लेकर फिल्मों तक हिन्दी की टांग तोडी जा रही है। समाचार चैनलों पर स्क्रॉल करते हिन्दी हेडलाइन्स पर गौर करें तो बहुत सी गलतियां मिल जायेंगी। वहीं टीवी सीरियल या हिन्दी फिल्मों में अगर कास्टिंग को देखें तो मौर्य को मौर्या, नीरज को निरज जैसी गलतियां आम हैं।
:( क्या कहें ....
ReplyDeleteसही जा रहे हैं, हिन्दी अखबार भी।
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteआपका पैनी नजर का जवाब नहीं!
ReplyDeleteभगवान इन्हें सद्बुद्धि दे।
ReplyDeleteमीडिया से लेकर फिल्मों तक हिन्दी की टांग तोडी जा रही है। समाचार चैनलों पर स्क्रॉल करते हिन्दी हेडलाइन्स पर गौर करें तो बहुत सी गलतियां मिल जायेंगी। वहीं टीवी सीरियल या हिन्दी फिल्मों में अगर कास्टिंग को देखें तो मौर्य को मौर्या, नीरज को निरज जैसी गलतियां आम हैं।
ReplyDeleteअच्छा हुआ जो श की जगह स नहीं लिखा
ReplyDeleteधन्यवाद
गलती से सही हिन्दी लिखने का पहला मामला प्रकाश में आया है :)
ReplyDeleteअरे एक ढूंढो हजार मिलती हैं यही दुर्भाग्य है हिंदी का.:(
ReplyDeleteइस पेज में हकीकत है या कलम का कमाल?
ReplyDeleteजो भी हो, ठीक ही तो है।
गलती या जानबूझ कर बढिया है।
और उसपे दावा की हम हिन्दी भाषी हैं ... जै हो ...
ReplyDeleteमजे हैं अखबारों के भी! :)
ReplyDelete