कालेधन को अधिकतर खपाया जाता है, जमीन-मकान-सोने की खरीद में और या फिर शेयर मार्केट में धन लगाकर. हमारे देश में जमीन-जायदाद खरीदना और गहने खरीदना बहुत प्रिय शगल है लोगों का. और कालेधन को लगाने का इससे मुफीद तरीका कोई नहीं. क्या देश के अन्दर कोई आनलाइन प्रापर्टी डाटा बैंक नहीं होना चाहिये जिस पर प्रापर्टी का पूरा ब्यौरा दर्ज हो, मसलन किसने उसे बेचा, खरीदा किसने, कीमत क्या थी और जिसने खरीदा उसके पास आय का स्रोत क्या है. आजकल लोग प्रापर्टी खरीदते भले काली कमाई से हों लेकिन उसे सफेद बनाने के लिये तमाम तरीके अपनाते हैं. ऐसे में प्रापर्टी लोन पर खरीदना एक अच्छा विकल्प होता है. इस डाटा बैंक में यह भी हो कि यदि लोन लिया है तो कितना, कितने साल का और लोन का भुगतान करने वाले के पास आय के क्या स्रोत हैं. यही बात निजी मेडिकल और इन्जीनियरिंग कालेज में अपने बच्चों को पढ़ाने वाले व्यक्तियों का है. निजी मेडिकल कालेज में एक विद्यार्थी पर पच्चीस लाख रुपये खर्च होना मामूली बात है. जो लोग इतनी अधिक फीस देते हैं, उनके आय स्रोत क्या हैं? क्या हम सब, जो अपनी गाढ़ी कमाई का एक हिस्सा देश के नेताओं-कर्मचारियों के वेतन-भत्तों के लिये देते हैं, को इतना जानने का भी अधिकार नहीं, कि वे व्यक्ति कौन हैं जो हमारी गाढ़ी कमाई पर मौज कर रहे हैं.
आपसे सहमत हूँ प्रोपर्टी बैंक होना चाहिए
ReplyDeleteयदि हो जायेगा तो लोग कहाँ जायेंगे छिपाने।
ReplyDeleteआपने बिलकुल सही कहा डाटा बैंक होना ही चाहिए ताकि तस्वीर साफ़ हो.
ReplyDeleteबहुत बढि़या सुझाव है आपका।
ReplyDeleteइसमें भी लैकूना छोड़ा जायेगा जरूर:)
ReplyDeleteबढ़ती मंहगाई का एक महत्वपूर्ण कारण भ्रष्टाचार ही है. लोग काला पैसा रियल एस्टेट में लगाते हैं, जमीनें-मकान खरीद कर छोड़ देते हैं या फिर उसमें छोटे-छोटे प्लाट या फ्लैट बनाकर बेचने लगते हैं, अपने मनमाने दामों पर. अब आम आदमी इन्हें क्या खरीद पायेगा. इन्हें खरीदने के लिये फिर एक बार आम आदमी ही हलाल होता है, अब जिसके पास खरीदने की सामर्थ्य नहीं, सरकारी नौकरी में है तो पद का दुरुपयोग करेगा. निजी व्यवसाय कर रहा है तो व्यवसाय में हेरा-फेरी करेगा. मिलावट करेगा, घटतौली करेगा, टैक्स की चोरी करेगा. घूम-फिर कर एक चक्र बन जाता है. मंहगाई->शोषंण->भ्रष्टाचार का, जो अनवरत चलता रहता है...
ReplyDeleteकागजी औपचारिकताएं मददगार हों, आमजन की विवशता और सक्षम की सहूलियत न बन जाएं.
ReplyDeleteबहुत बढि़या सुझाव है आपका। धन्यवाद|
ReplyDeleteकाश यह सम्भव हो!
ReplyDeleteरामनवमी के साथ बैशाखी और अम्बेदकर जयन्ती की भी शुभकामनाएँ!
सही कह रहे हैं। हिमालय से गंगा निकलने की उम्मीद तो है नहीं,नीचे से सफाई अभियान चले,तभी वह आंदोलन वास्तव में सफल होगा जिसको लेकर पिछले दिनों इतना हो-हल्ला मचा।
ReplyDeleteआपको भी, शास्त्री साहब.. और ज्योति बा फुले साहब के जन्मदिन की भी, लेकिन एक दिन देरी से.
ReplyDeleteजब तक भारत की अर्थव्यवस्था में नक़द (cash) integral हिस्सा बना रहेगा. बहुत मुश्किल है ब्लैकमनी मार्केट को रोक पाना.
ReplyDeleteजी काजल जी, कैश का प्रयोग न्यूनतम होना चाहिये और बाबा रामदेव जी जिसके बारे में बात कर रहे हैं कि बड़े नोट बन्द होना चाहिये, वह भी बहुत महत्वपूर्ण है..
ReplyDeleteकाश हो पाता ऐसा..
ReplyDeleteहकीकत सामने नहीं आ जाएगी..... :(
ReplyDeleteयक़ीनन होना चाहिए मैं भी यही मानती हूँ....
बिलकुल होनी चाहिए ऐसी व्यस्था। भले देर लगे लेकिन ये एक effective व्यवस्था होगी। कालाधन बाजारी रुकनी ही चाहिए।
ReplyDeleteसुझाव तो सही है! ऐसा होना चाहिये। देखिये कब संभव हो पाता है।
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