"श्री...... इतने साल से साइडलाइन पोस्टिंग भुगत रहे हैं". एक अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी के बारे में एक वेबसाइट पर यह पंक्तियां लिखी देखीं तो बड़ा आश्चर्य हुआ. आखिर यह साइडलाइन पोस्टिंग चीज क्या है और मेनस्ट्रीम पोस्टिंग क्या बला है. मुझे जहां तक जानकारी है कि किसी भी सेवा नियमावली में इस प्रकार की पोस्टिंग के बारे में कोई जानकारी दर्ज नहीं है. अब यह आफ द रिकार्ड चीज रही होगी तो इस पोस्टिंग से जुड़ी चीजें भी आफ द रिकार्ड ही होती होंगी. किसी भी सेवा में कोई पद जब महत्व का नहीं रहता तो खत्म कर दिया जाता है, इसलिये साइडलाइन पोस्टिंग जैसी चीज कम से कम मेरे गले नहीं उतरती. हर व्यक्ति का, हर पद का अपना महत्व है. सेना के ट्रक-ड्राइवर का भी उतना ही महत्व है जितना कि लड़ाकू विमान उड़ाने वाले पायलट का, बस अंतर समय और प्राथमिकता का है. अब यदि कोई यह शिकायत करे कि किसी व्यक्ति को साइडलाइन पोस्टिंग दी गयी है तो उसे पहले-पहल दोनों पोस्टिंग में अन्तर बताना चाहिये कि क्या साइडलाइन पोस्टिंग में, मेनस्ट्रीम पोस्टिंग से एक-दो इन्क्रीमेंट तो कम नहीं कर दिये जाते या फिर कोई अन्य आर्थिक दण्ड तो नहीं लगा दिया जाता, यदि ऐसा नहीं है तो फिर मेनस्ट्रीम पोस्टिंग में फिर अवश्य ही कोई ऐसी चीज छुपी रहती है जो वैधानिक रूप से ठीक नहीं है, ऐसे द्रव्यों की प्राप्ति समाहित है, जो साइडलाइन पोस्टिंग में उस पद पर नहीं हो सकती होगी, अन्यथा फिर दोनों में क्या अन्तर रह जाता है. या फिर मेनस्ट्रीम पोस्टिंग में अपना रुतबा दिखाने का स्कोप रहता होगा जो कि साइडलाइन पोस्टिंग में नहीं रह जाता.
मेरा प्रश्न अपनी जगह अभी भी वैसे ही सर उठाये खड़ा है, कोई उत्तर मिलेगा क्या?
बुंदेलखंडी लहजे के शब्द हैं- सूखमसट्ट है या सोंटमसांट.
ReplyDeleteशब्दों का चमत्कार।
ReplyDeleteचमत्कार को नमस्कार!
भइया जी, जो अंतर प्रधानमंत्री होने में व UPA अध्यक्ष होने में होता है, वही अंतर होता है साइडलाइन व ठस्से की पोस्टिंग में...
ReplyDeleteराग दरबारी सटाइल में कहें तो बहुत बड़ी बहस छेड़ दी है श्रीमान जी ने।
ReplyDeleteएक नयी बात पता चली नए रूप में..
ReplyDeleteवैसे काजल कुमार सही कह रहें है..जितना मनमोहन और सोनिया में है ....
आभार
आशुतोष की कलम से....भारत की वर्तमान शिक्षा एवं समाज व्यवस्था में मैकाले प्रभाव :
ReplyDeleteइसका ज़वाब मैं अपने ब्लॉग पर दे सकता हूँ, सर !
यहाँ मॉडरेशन का सोंटा दिख रहा है, आम नागरिक हूँ न सर... सो डर लगता है !
ReplyDeleteबुरा मत मानना सर.... लोकतँत्र में मुर्दाबाद पहले, सोंटा बाद में !
आप अवाँछित टिप्पणियाँ हटा दिया करो न, सर... न जाने कितने बार लौट चुका हूँ !
आप ऎसे तो न थे, सर !
@डा०अमर कुमार साहब - आपके ब्लाग पर इस प्रश्न के उत्तर की प्रतीक्षा कर रहा हूं....
ReplyDeleteमाडरेशन छूमंतर...
अति उत्तम ,अति सुन्दर और ज्ञान वर्धक है आपका ब्लाग
ReplyDeleteबस कमी यही रह गई की आप का ब्लॉग पे मैं पहले क्यों नहीं आया अपने बहुत सार्धक पोस्ट की है इस के लिए अप्प धन्यवाद् के अधिकारी है
और ह़ा आपसे अनुरोध है की कभी हमारे जेसे ब्लागेर को भी अपने मतों और अपने विचारो से अवगत करवाए और आप मेरे ब्लाग के लिए अपना कीमती वक़त निकले
दिनेश पारीक
http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/
काजल कुमार बहुत सही लिखे हैं!
ReplyDeletekai baar swal hi jawab ban jate hain...
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है
मिलिए हमारी गली के गधे से
कौन हैं यह महाशय? कुछ जानकारी मिले तो हमारा भी जीवन धन्य हो।
ReplyDeleteमेनस्ट्रीम पोस्ट में रूतबा तो रहता ही है,तुलनात्मक रूप से अधिकार-क्षेत्र भी बड़ा होता है और कई मामलों में दो नम्बरी आय की संभावना भी प्रचुर। साईडलाईन पोस्टिंग का अर्थ है कम रसूखदार विभाग जिसके बारे में स्वयं को इंट्रोड्यूस करते आप बहुत गर्व महसूस नहीं करते। वर्षों पहले,इंदिराजी हमारे जिले में आईं। किसी कारणवश डीएम उन्हें रिसीव करने हवाईअड्डे नहीं पहुंचे। इंदिरा जी की रवानगी के कुछ ही दिन बाद,उस डीएम को उसी ज़िले में नगर निगम का अध्यक्ष बना दिया गया। आप समझ सकते हैं।
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