पंसारी तक की दुकान में छोटे-छोटे, कांच के चमकते हुये गोले लटके दिखाई देते हैं, यानी सीसीटीवी के कैमरे. जिनके माध्यम से लाला अपने कर्मियों पर निगाह रखता है कि कौन काम कर रहा है, कौन नहीं. कोई उसका माल तो दांये-बांये नहीं कर रहा. होटल-रेस्टोरेन्ट से लेकर कार्यालयों और बैंकों में यह युक्ति अपना कार्य कर रही है. सार्वजनिक स्थलों और संवेदनशील जगहों पर भी क्लोज सर्किट टेलीविजन के कैमरे देखे जा सकते हैं.
प्रस्तावित लोकपाल बिल के सम्बन्ध में ड्राफ्टिंग कमेटी की पहली बैठक हो चुकी है, जिसके बाद कपिल सिब्बल साहब यह कहते हुये सुने गये कि कमेटी के सदस्य काफी "समझदारी" दिखा रहे हैं. यद्यपि इसके बाद अरविन्द केजरीवाल जी ने काफी कुछ नसीहत भी सिब्बल जी को दे डाली. जैसा कि सुना है कि ड्राफ्टिंग कमेटी के गैर -सरकारी सदस्य इन मीटिंगों की वीडियोग्राफी कराने के पक्ष में हैं किन्तु सरकारी पक्ष के सदस्य नहीं.
मेरी समझ में नहीं आता कि वीडियोग्राफी कराने में हर्ज क्या है. मुझे यह भी समझ में नहीं आता कि वीडियोग्राफी से किस प्रकार का खतरा हो सकता है या क्या कानूनी दिक्कतें हो सकती हैं. बल्कि मैं तो और एक कदम आगे जाकर कहूंगा कि इन मीटिंगों का "लाइव" प्रसारण होना चाहिये जिससे कि पूरे देश को यह पता तो चले कि उनके निर्वाचित प्रतिनिधियों का और गैर-सरकारी सदस्यों का रुख मीटिंगों में कैसा रहता है, उनके विचार क्या होते हैं. किस प्रकार के सवाल-जवाब होते हैं, कैसे कैसे तर्क-वितर्क-कुतर्क सामने रखे जाते हैं, इन सभी सदस्यों की भाव- भंगिमायें कैसी रहती हैं. कौन क्या चाहता है, किसका व्यवहार कैसा रहता है. कम से कम असली सूरत तो दिखाई देना चाहिये हम लोगों को.
सूचनाओं की अधिकता भी एक प्रकार की सूचना का संकट है.
ReplyDeleteखतरा वही है जो अब तक था - जल्दी पकडे जाने का। हवाई अड्डों आदि जिन जगहों पर भी सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, आम आदमी का जीवन काफी आसान हो गया है। पारदर्शिता ने किसी ईमानदार व्यक्ति को कभी नहीं डराया है।
ReplyDeleteबिल्कुल सही.......
ReplyDeleteपोल खुलने के डर से ये कभी वीडियोग्राफी नहीं करोयेंगे!
ReplyDelete...क्योंकि कुछ लोग नहीं चाहते होंगे कि उनकी इशारों-इशारों में की जाने वाली बातें बाहर लोगों को पता चलें..
ReplyDeleteऑडियो रिकार्डिंग हो रही है, यही उपलब्धि है। वीडियो रिकॉर्डिंग की मांग पर ऑडियो पर तो सहमति बनी!
ReplyDeleteअसली चेहरा छिपा रहे.. इसलिए वीडियोग्राफी नहीं हो सकती...
ReplyDeleteकहीं सच बेनकाब न हो जाये!
ReplyDeleteविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
लाइव हो तो बहुत प्रचारधन मिल जायेगा सबको।
ReplyDeleteसही कहा ...
ReplyDeleteमुझे भी समझ नहीं आता.......अगर चुने हुए लोग चुनी हुई बात कहते है.....तो इसमे छुपाना क्या..????
ReplyDeleteअब बताइए,यह भी कोई मांग हुई? आप क्यों चाहते हैं कि जनता उन्हें सोते, उबासी लेते हुए देखे?एक तो भूख हड़ताल कर उनसे उबाऊ काम करवाते हो और ऊपर से चाहते हो तमाशबीन बन देखो भी! अत्याचार है बेचारों पर!
ReplyDeleteघुघूती बासूती
पोल खुल जायेगी इसलिए नहीं हो सकती.
ReplyDeleteसर, जब मंत्री जी कह रहे हैं तो ठीक ही होगा। काये कू खाली पीली परेशान करना बेचारों को..
ReplyDeleteइमानदारों पर भी निगरानी ? उन पर थोडा भरोसा रखना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है।
ReplyDeleteकांग्रेसी इन सबके लिए मानेंगे नहीं और अन्ना एण्ड पार्टी समझौते पर समझौते करती चली जा रही है।
ReplyDeleteजाट देवता की राम-राम,
ReplyDeleteविडियोग्राफ़ी में इन सबकी असलियत रिकार्ड हो जायेगी?
आपकी बात का पूरा समर्थन करता हूँ ... सरकार और उससे जुड़ी हर प्रक्रिया की मीडीया टेलएकास्ट ज़रूर होनी चाहिए ...
ReplyDeleteचलो कोई नही ऑडियो रेकॉर्डिंग तो होगी ।
ReplyDeleteaapki baat theek hai......par hamaam ka darwaza khole kaun...? sadhuwad..
ReplyDeleteaapki baat theek hai......par hamaam ka darwaza khole kaun...? sadhuwad..
kahi na kahi daal mein kala to jaroor hai sahib.
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ReplyDeleteइसलिए की लोंगों को असली चेहरा पता न चल जाये....
ReplyDeleteसुझाव तो सही है लेकिन माने कौन?
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