मेरे हिसाब से हम लोगों का एक जैसा ही मानना है कि न्याय वही सही है जब हमारे पक्ष में हो और नायक वही होता है जो जीतता है. हिटलर जीत जाता तो इतिहास और इतिहासकार उसकी दुहाई दे रहे होते और हेमू जीत जाता तो हेमू की गाथायें दर्ज होतीं. कौरव जीत गये होते तो शायद दुर्योधन के पक्ष में हम लोग तर्कों के बाण लेकर खड़े होते. आजकल बड़ी वितृष्ण सी हो रही है. किसी काम को करने की इच्छा नहीं हो रही है. नेता, अफसर सब एक जैसे. सब भाषण पिलाकर ही जनता को स्वस्थ करने की महती जिम्मेदारी निभा रहे हैं. आश्वासनों का चूर्ण बांटते हैं और कानून अपना काम करेगा, जैसे मधुर वाक्य कान में डालकर गरीबों की क्षुधा को शान्त करने की दिशा में पूर्ण प्रयास कर रहे हैं. गरीब भी उतना ही चालाक बन रहा है, अपना वोट यूं ही नहीं डालता! कहीं नोट तो कहीं दारू और कहीं कपड़े. नूरा कुश्ती चालू है और यह भी कि कौन किसे बेवकूफ बना ले और कितनी अधिक मात्रा में.
इतिहास सदा जीतनेवाला ही लिखता है।
ReplyDeleteयह वेदना ही है, और व्यथित करती है।
ReplyDeleteजो जीता वही सिकंदर, आज तो न्याय सोनिया तय करती है जो इटली के हित में होता है
ReplyDeleteबिल्कुल सही..... यही विचारधारा है , थी और शायद रहेगी....
ReplyDeleteआने वाला वक्त शायद कुछ बदलाव लेकर आये ! अब तो यही उम्मीद की जा सकती है.
ReplyDeleteहमारे देश के ये भ्रष्ट और हरामखोर नेता लोग, इनका वोट बैंक तो तभी न्यायपालिका की दुहाई इस तरह से देता है कि "हमारा न्यायव्यवस्था में पूरा भरोसा है " जब फैसला उसके पक्ष में जाता है ! इस देश का इससे बड़ा और का न्यातंत्र का मखौल हो सकता है कि २० साल पहले जो लालू अरबों का चारा डकार गया उसका यह न्यायतंत्र आज तक बाल बांका भी नहीं कर सका ! और मेरा यह मानना है कि इस देश में तभी से भ्रष्टाचार चरम पर पहुंचा जब सबने ( सब भ्रष्ट लोगों ने ) लालू को देखा कि जब इतना खाने के बाद इसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सका हो हम भी बच जायेंगे !
ReplyDeleteअपने हाथ पर कट लगने पर अपने ही हाथ से खून क्यों निकलता है, दूसरे के हाथ से क्यों नहीं ?
ReplyDeleteसत्यवचन!
ReplyDeleteमहाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ!
अपने आज के लिए अपना वोट दे वो अपने साथ अपने बच्चो का भी भविष्य ख़राब करते है पर कौन समझाए |
ReplyDeleteवीर भोग्या वसुंधरा ।
ReplyDeletebaat to sahi kahi sir
ReplyDeleteकांग्रेसी नेता इस बात का जी तोड़ प्रयत्न कर रहे हैं कि किसी प्रकार से सत्ताधारी परिवार (दल नही परिवार) की छवि गरीबों के हितैषी के रूप मे सामने आए, इसके लिए वो छल छद्म प्रपंच इत्यादि का सहारा लेने से भी नही चूकते। इसकी जोरदार मिसाल आपको नीचे के चित्र मे मिल जाएगी
ReplyDeletehttp://bharathindu.blogspot.com/2011/03/blog-post.html?showComment=1299158600183#c7631304491230129372
sach hai !
ReplyDeleteaaj ka garib ameeron ko dekh kar apni ran-niti tay karta hai....mahatvakankshaen bhi...darroo sabse, note bhi sabse or vote deta hi nahi...deta bhi hai to usko...yane jaatbhai ko ...
ReplyDeletekhair....
sadhuwaad...
सत्य वचन.
ReplyDeleteघुघूती बासूती
NDA in Hindi
ReplyDeleteRTO in Hindi
Indian Music in Hindi
Airports in India in Hindi
National Parks in India
Republic Day Quotes Shayari in Hindi
SSC in Hindi
IRDA Full Form