Friday, March 18, 2011

हमें शर्म कब आयेगी...

पहले अमेरिकी दबाव में मन्त्री बदले जाते हैं, फिर न्यूक्लियर डील के चलते सरकार बचाने के लिये चालीस करोड़ की रकम दी जाती है सांसदों को मैनेज करने के लिये. विकीलीक्स के खुलासे के बाद अब Lame Excuses ही शेष बचते हैं. अब कुछ भी कहने को शेष नहीं. लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि जिन्हें इस सब का पता है और जो इन बातों पर मगजमारी करते हैं, उनमें से अधिकतर न तो वोट देते हैं और न ही उनके वोटों में इस सब को बदलने की ताकत होती है; और जो वोट देते हैं उन्हें न तो इस सब का पता होता और न ही इस सब से कुछ लेना-देना.

गिद्ध तो देखे ही होंगे. प्रकृति के स्वच्छकार. मृत जानवरों को खाकर अपना पेट पाल लेते हैं और सफाई भी कर  देते हैं. लेकिन उन्हें क्या कहेंगे जो कफनखसोट हैं. जीवित के साथ मुर्दे को भी नहीं बख्शते. अगर मानवीय गिद्ध न देखे हों तो पोस्ट-मार्टम हाउस पर देख लीजिये. पहले आठ सौ से हजार रुपये पोस्ट-मार्टम के लिये, फिर सिपाही जी की सेवा. मृत शरीर के लिये स्ट्रेचर भी नसीब नहीं होता. उल्टे-सीधे ढ़ंग से सिला हुआ शरीर,  रखने की जगह न तो पोस्ट-मार्टम से पहले नसीब होती है और न ही बाद में. दो लोग एक डण्डा नीचे से लगाकर पटक देते हैं.  स्वच्छकार और सिलाई करने वाले को पैसे देना तो इसलिये समझ में आ सकता है क्योंकि यह बाहर से लाये गये लोग होते हैं, जिनके लिये नगण्य वेतन दिया जाता है. लेकिन बाकी लोग?  वो वर्दीधारी जो शव को ले जाने के लिये सौ रुपये लेता है. वो व्यक्ति जो पोस्टमार्टम कराने के लिये आठ सौ-हजार रुपये ले जाता है. शायद गिद्ध भी इनसे लाख गुना अच्छे होते हैं..


18 comments:

  1. क्या कहा जाये ... :(
    बहुत वेदना होती यह बातें जानकर

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  2. विकीलीक्स की ऑठेंटिसिटी के बारे में तो खैर कुछ नहीं कह सकते, लेकिन शर्म के बारे में कह सकते हैं - शर्म नहीं आएगी।

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  3. मैंने कहा न की खून में ही खराबी है, ऐसा न होता तो तीन-चार गुलामियाँ झेलते !

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  4. भजन करो भोजन करो गाओ ताल तरंग।
    मन मेरो लागे रहे सब ब्लोगर के संग॥


    होलिका (अपने अंतर के कलुष) के दहन और वसन्तोसव पर्व की शुभकामनाएँ!

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  5. १०० ने से १०० बेईमान, मेरा भारत महान !

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  6. कबीरदास निशचय ही रो पड़ते यदि यह रूप देखते। चलिये हम ही कह देते हैं उनकी जगह।

    कबिरा इस संसार में भाँति भाँति के लोग,
    कुछ तो --- हैं, कुछ बहुतै ---- ।

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  7. यहां सब कुछ अमेरीकी बाबा की कृपा से चलता है, चाहे कोई माने या माने.

    होली पर्व की घणी रामराम.

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  8. वाकई गिद्ध इनसे अच्छे होते हैं ...शुभकामनायें होली की !

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  9. आपको होली की शुभकामनाएँ
    प्रहलाद की भावना अपनाएँ
    एक मालिक के गुण गाएँ
    उसी को अपना शीश नवाएँ

    मौसम बदलने पर होली की ख़शियों की मुबारकबाद
    सभी को .

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  10. आप को सपरिवार होली की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!

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  11. उफ़ अति दर्दनाक और खौफनाक है.
    होली के पावन रंगमय पर्व पर आपको और सभी ब्लोगर जन को हार्दिक शुभ कामनाएँ .
    'मनसा वाचा कर्मणा' को न भुलाइये प्लीज .

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  12. गिद्ध तो प्रकृति के मित्र हें , लेकिन इंसान तो १००-१०० रूपए में आत्मा बेच चुके हें।

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  13. दुर्भाग्य की बात यह है कि जिन्हें इस सब का पता है और जो इन बातों पर मगजमारी करते हैं, उनमें से अधिकतर न तो वोट देते हैं और न ही उनके वोटों में इस सब को बदलने की ताकत होती है; और जो वोट देते हैं उन्हें न तो इस सब का पता होता और न ही इस सब से कुछ लेना-देना.

    यहीं पर जनजागरण की आवश्यकता है.

    फिलहाल अमानवीय गिद्धों पर क्या कहें.
    वैसे मैंने अपने स्तर से जनजागरण करता रहता हूँ. सभी युवाओं को जागने की जरुरत है.

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  14. कितना काड़ुवा सच है ... पर फिर भी भारत देश महान ..
    आपको और समस्त परिवार को होली की हार्दिक बधाई और मंगल कामनाएँ ....

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  15. शेम, शेम! नगर व्यवस्था बनाने और देखने के लिये आइ. ए. ऐस./आइ पी ऐस अधिकारियों का जो बडा सा कुनबा होता है, उसके पास अपने शहर की कुव्यवस्था देकने की फुर्सत कब होगी?

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  16. काश, इस स्थिति का सामना किसी को कभी न करना पड़े.

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  17. अति दर्दनाक और खौफनाक है|

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मैंने अपनी बात कह दी, आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा है. अग्रिम धन्यवाद.