पहले एक बिरादरी आरक्षण की मांग को लेकर राजस्थान में सामने आई थी और अब उत्तर प्रदेश में एक और बिरादरी. दलित मुस्लिम और ईसाई नाम की एक नई बिरादरी भी सामने आ रही है, इन्हें भी आरक्षण देने की मांग उठ रही है. यद्यपि इस बिरादरी की मांगों का विरोध भी होना प्रारम्भ हो गया है. विरोध वे कर रहे हैं, जिन्हें लगता है कि यदि इस बिरादरी को आरक्षण दे दिया गया तो उनकी प्रतिशतता कम हो जायेगी. आरक्षण अब नौकरी तक सीमित नहीं रह गया, इसका व्यापक प्रभाव हर क्षेत्र में है, शिक्षा, नौकरी, पदोन्नति, राजनीति, ठेके वगैरह. हर वह बिरादरी जो वोट बैंक बन सकती है या बन जाती है, आरक्षण की मांग कर रही है. आज एक जाति है तो कल दूसरी खड़ी होगी. यह एक अच्छा तरीका हो सकता है यदि जातियों के अनुपात में सभी के लिये आरक्षण दे दिया जाये. इसमें किसी बिरादरी के नाराज होने की भी सम्भावना नहीं. जिस की जितनी जनसंख्या, उसी अनुपात में आरक्षण. इसमें अधिक कठिनाई भी नहीं होना चाहिये क्योंकि जनगणना के बाद सारे आंकड़े उपलब्ध हो जायेंगे. लेकिन फिर वही दिक्कत रहेगी कि यदि इसे लागू कर दिया गया तो फिर यह मुद्दा शायद राजनीति के लिये कारगर नहीं रह जायेगा.
इस तरह के नये अध्याय खुलते ही रहेंगे। एक बार नल खोल देने से कितना पानी बह जायेगा, पता नहीं चलता।
ReplyDeleteकुछ समस्याएं बनी रहनी चाहिए, लोकतंत्र पर विश्वास बना रहता है |
ReplyDeleteमेरा तो मत है की सभी जाति- सम्प्रदायों जैसे ब्राहमण , जैन , सिख सभी को आरक्षण के मांग कर सारे एयरपोर्टों पर बैठ जाना चाहिए ! तभी यह घृणित राजनैतिक धंधा बंद हो पायेगा !
ReplyDeleteफिर तो राजनीति ही खत्म हो जाएगी...................... . सब वोट का ही तो खेल है.
ReplyDeleteआरक्षण sabko chaiye.hum jainse jo aarkishit nahi hai, unhe bhi aarkshan chaiye. jainse railway ke ticket ke liye , hotel ke liye or jahan jao wahan,,,,,,,,,,
ReplyDeleteआरक्षण के विष का मूल कारण जातिवाद भी है, यदि जातियों के बंधन ढीले हों तो धीरे धीरे आरक्षण भी समाप्त हो ही जायेगा.
ReplyDeleteएक तो ये संभव नहीं है, फिर नीरज बसलियाल की टिप्पणी भी गौरतलब है.
ReplyDeleteनीरज की टिप्पणी को सैकंड तो सोमेश ने कर दिया, हम एक और सैकंड करते हैं सर।
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