मनमोहन ने कर दिया, ताल ठोंक ऐलान
देखा होगा न कहीं, मुझ जैसा इन्सान
मुझ जैसा इन्सान, घना मजबूर मैं दुखिया
कहने को मैं प्रधान, नहीं हूं लेकिन मुखिया
कह दानव कविराय, जगो अब मोहन भैया
अर्धसत्य को त्याग, सत्य की खेवो नैया
देखा होगा न कहीं, मुझ जैसा इन्सान
मुझ जैसा इन्सान, घना मजबूर मैं दुखिया
कहने को मैं प्रधान, नहीं हूं लेकिन मुखिया
कह दानव कविराय, जगो अब मोहन भैया
अर्धसत्य को त्याग, सत्य की खेवो नैया
वाह वाह! आगे की पंक्तियाँ -एक प्रयास:
ReplyDeleteछोडो यह आर्तनाद मत करो दय्या दय्या
मानो खुद को सिंह बनो मत बूढ़ी गय्या
बहुत अच्छी पंक्तियां हैं..
ReplyDeleteप्रधानमंत्री जी ने प्रेस कॉंफ्रेंस में चाहे जो लाचारी दिखाई हो, बाद का मीडिया मैनेजमेण्ट बहुत दमदार है। बस दो तीन प्रतीकों (राजा-कलमाडी) के सिवाय बाकी किसी पर अटैक हो ही नहीं रहा!
ReplyDeleteआपकी कुंडली बिल्कुल झकाझक है।
ReplyDeletevaah vaah ... maja aa raha है is kundali का ... kaaka की yaad kara di ...
ReplyDeleteManmohan जी ab to bansi baja do ..
उफ़ बहुत की मार्मिक और दर्दनाक कविता हमारी संवेदनाए उनके साथ है |
ReplyDeleteसही पंक्तियाँ है....
ReplyDeletewah wah sir ji
ReplyDeleteकह दानव कविराय, जगो अब मोहन भैया
ReplyDeleteअर्धसत्य को त्याग, सत्य की खेवो नैया
सर्वप्रथम इन ख़ूबसूरत दोहों के लिए बधाई , मगर इनसे कोई आश न लगाइए क्योंकि मजबूरी का नाम SMS (सरदार मनमोहन सिंह )
बहुत गजब लिखा है, काका हाथरसी जी की याद दिलादी, बहुत मारक है.
ReplyDeleteरामराम.
इतने दिनों से आपके ब्लाग पर आने की कोशीश कर रहा था पर हमेशा मालवेयर की चेतावनी मिलती थी, आज बिना किसी चेतावनी के खुल रहा है, उम्मीद करता हूं कि आपके पाठकों कॊ अब कोई बाधा नही आयेगी.
ReplyDeleteरामराम.
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ReplyDeleteमैं बालक नादान , भवानी तेरी सेवा न जानू..
बालक ( मोहन )
भवानी (भारत भूमि )
आपकी कविता एक उच्च कोटि का आइना है , सब कुछ दिखा दिया ।
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भारतीय नागरिक जी
ReplyDeleteनमस्कार
विशयातर जाने के लिए माफ़ करे.. मैंने अन्य प्रयास भी किये पर कही पर भी आपका ई-मेल नहीं लिखा होने के कारण मुझे यहाँ अपनी बात लिखनी पड़ रही है..
मेरा पता है Mks00111@ gmail.com कृपया अपना ई-मेल का पता मुझे प्रदान करे....किन्ही विचारो का आदान-प्रदान आपसे करना चाहता हूँ |
आशा है आप मुझे इसका अवसर देंगे
आपका मित्र...
काफ़िर
आपकी कविता एक उच्च कोटि का आइना है| धन्यवाद|
ReplyDeleteवाह बहुत खूब।
ReplyDeleteकह दानव कविराय, जगो अब मोहन भैया
अर्धसत्य को त्याग, सत्य की खेवो नैया
अच्छा मश्विरा है। बधाई।
aapke comment karne ka bahut-bahut dhanywad kyonki isi ke dwara mujhe aapke itane acche blog ko jan ne ka moka mila . sath hi main mafi chahti hoon ki kisi wajah se main abhi tak aapke comment ko dekh na saki ! "bharat ke nayak" blog par pehla comment karne ke liye bahut-bahut shukriya !
ReplyDeleteये जागने वाला नहीं महा ढोंगी,बेईमान तथा चालाक है....ये प्रधानमंत्री के पद की मर्यादा को मिटटी में मिला दिया है.....
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