Saturday, May 14, 2011

दोस्ती की कुछ् तो कीमत चुकानी ही पड़ेगी

अभी अभी खबरों में आ रहा है कि आर एस पुरा सेक्टर में पाकिस्तान की तरफ से भारी गोलाबारी हो रही है और बी एस एफ का एक जवान शहीद हो चुका है. उसकी शहादत को नमन और ऐसी शहादतों को कूड़ेदान में फेंकने वाले निकम्मे राजनीतिबाजों को धिक्कार. आखिर कब तक बिरयानी खिलाई जाती रहेगी पाकिस्तान और पाकिस्तान के समर्थक देश में रहने वाले नागरिकों को. कब तक अमन की आशा और क्रिकेट कूटनीति जैसे जुमले उछालकर भारत के आम नागरिकों को बेवकूफ बनाया जाता रहेगा. कब तक हमारे जवानों को शहीद करवाया जाता रहेगा, कभी संसद के हमलों में, कभी सीमाओं पर और कभी मुम्बई में. आखिर कब तक? अब अगर यह दोस्ती की कीमत है तो ऐसी दोस्ती से दुश्मनी बेहतर.

16 comments:

  1. देश के शहीदों को नमन

    देश के राजनीतिकारो को तो बस सरकार चलाने से मतलब, चाहे कोई मरे या जिए बस सरकार को कोई खतरा नहीं होना चाहिए, जाहे पूरा देश जल जाये पर इनकी गद्दी पर आंच नहीं आनी चाहिए

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  2. पाकिस्तान तो अपने कब्जे वाले कश्मीर का एक हिस्सा चीन को बेच भी चुका है। स्थिति और हमारी निष्क्रियता दोनों विकट है।

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  3. भारत की नपुंसक सरकार और व्यवस्था से इससे ज्यादा क्या उम्मीद की जा सकती है..

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  4. सब सरकारी निष्क्रियता का ही परिणाम है..... वैसे इस दोस्ती ने दिया ही क्या है ज़ख्मों के सिवा....

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  5. आशंका होती है कि हमारी सेना भी सुसज्जित और सुगठित है या नहीं। भष्टाचरण वहां तो नहीं पसरा है!

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  6. काश कभी क्रोध भी आये उन्हें।

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  7. हमारे नेताओं को सिर्फ अपनी कुर्सी से मतलब है.

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  8. आप भी न सर, जाने क्या क्या उम्मीद लगाये बैठे हैं। तभी तो परेशान रहते है। मजे से आई.पी.एल. देखिये और ...।

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  9. नेता के घर मेँ तो नेता पैदा होते है फौजी नहीँ, उन्हे भला क्या दर्द का एहसास।

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  10. Hamaree sarkar kee wiwashta aakhir kya hai ? kyun hum pakistan ke khatarnak iradon ko kamyab hone dete hai ? voton kee rajneeti par kitano ko bali chadhayegi ye sarkar ?

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  11. आपके विचारों से पूर्ण रूप से सहमत हूँ ...आभार

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  12. सबसे हास्‍यास्‍पद बात तो यह है कि हम जब तब पाकिस्‍तान को मोस्‍ट वान्‍टेड आतंकवादियों की सूची सौंपते रहते हैं, लेकिन अजमल कसाब जैसा आतंकवादी जिसके खिलाफ हमारे पास सारे सबूत हैं, उसे हम आराम से बिठाकर खिला रहे हैं। जब तक अजमल कसाब जैसे आतंकवादी हमारी गिरफ्त में होकर भी बचे हुए हैं, तब तक हमें पाकिस्‍तान पर उंगली उठाने का कोई हक नहीं है।

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  13. बात तो ठीक है आपकी पर पाकिस्ताम से भिड़ने मे नुकसान हमारा ही है उसके पास तो खोने के लिये है ही कुछ नही उल्टे हमसे लड़ेगा तो तमाम मुस्लिम देश पैसा लेकर पहुंच जायेंगे । इस लिये स्टेटस को मे ही हमारी भलाई है

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  14. देश अपने दोस्त चुन सकते हैं पडोसी नहीं। ये तो ट्रेलर है असली घात तो दूसरे पडोसी से लगनी है साल भर में। नीन्द से जागकर बडी तैयारी की ज़रूरत वहाँ है।

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  15. .

    ऐसी दोस्ती से दुश्मनी बेहतर....

    I agree.

    .

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मैंने अपनी बात कह दी, आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा है. अग्रिम धन्यवाद.