Sunday, May 1, 2011

चलो न गोरी मचल मचल के

चलो न गोरी मचल मचल के अभी तो बालापन है. चांद सी सूरत प्रेम की मूरत पांवों में झांझन है. यह गीत गाया है सी०एच०आत्मा जी का. यूट्यूब पर खोजते हुये यह गीत मिल गया. कितने कोमल भाव हैं इस गीत में. कई वर्ष पहले चन्द्रू जी की आवाज के कुछ कैसेट खरीदे. कैसेट खरीदते समय यह भान नहीं था कि इसमें इतनी बढ़िया आवाज छुपी होगी, इतना खूबसूरत संगीत और उतने ही खूबसूरत बोल होंगे. कई फिल्मों में भी अभिनय किया है. और शायद कामचोर के एक गीत में एक दो पंक्तियां भी गाई थीं, "तुम से बढ़कर दुनिया में न देखा कोई और" में प्रारम्भिक पंक्तियां आत्मा साहब ने ही गाई थीं और उसके बाद किशोर कुमार ने यह गाना गाया था.  बहुत ही दमदार और मधुर आवाज है जनाब की. मुझे अधिक जानकारी नहीं, अगर आप देंगे तो अच्छा लगेगा. कभी कभी यह सोचकर खराब लगता है कि हम लोग अपने इस बेशकीमती खजाने की कद्र नहीं कर सके और यह सोचकर अच्छा भी लगता है कि हमारा देश तो वाकई हीरे उगलता है... लीजिये सुनिये..

6 comments:

  1. वाह, आनन्द आ गया।

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  2. इस प्यारे से गीत को सुनवाने के लिए
    धन्यवाद

    हमारे देश में ऐसे हीरे, मोती, लाल भरे पड़े है

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  3. सचमुच नायाब.

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  4. बहुत पसन्द आया ..शुक्रिया...

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  5. यदि जगमोहन का गीत ’ मत कर साज सिंगार सखी री... या यह चाँद नहीं तेरी आरसी है " सुनेंगे तो वह भी मन को माहने वाले हैं ।
    आपका चयन बताता है कि आप भी पुराने महीन चावल हो !

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  6. vaah..kyaa baat hai..sundar geet aur aatma men utar jane vali aavaaz.. aakhir pasand kiski hai....aapki..dhanyvaad.

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मैंने अपनी बात कह दी, आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा है. अग्रिम धन्यवाद.