खबरिया चैनल मुद्दों को बड़े जोर-शोर से उठाते हैं. दिल्ली में हुये जघन्य दुष्कृत्य पर भी इन चैनलों ने देश को जागरुक करने का कार्य किया. कुछ चैनल तो बाकायदा यह दम भरते हैं कि उनके जैसा कोई नहीं. किन्तु उनकी वेब-साइट्स पर ऐसे ऐसे फोटो अपलोड़ किये जाते हैं कि उन्हें देखकर कोई भी सम्भ्रान्त व्यक्ति दोबारा साइट पर आने से तौबा कर ले.
और तो और सरोकार की पत्रकारिता का दावा करने वाले ये चैनल/अखबार, अपनी वेब-साइट पर, एक फैशन माडल जिसने निर्वसन होने का वादा किया था, एक रियलिटी शो में शिरकत करने वाली एक महिला जिसे ** स्टार कहा जाता है, एक और कथित अभिनेत्री जिसने पैसों के लिये क्या कुछ नहीं करने के दावे किये, के तमाम नुमाइशी फोटो, जिसमें शरीर के कुछ हिस्सों को ब्लर कर या उस पर कुछ आकृति अंकित कर सैकड़ों की संख्या में पोस्ट करते हैं.
क्या केवल सर्कुलेशन/हिट्स बढ़ाने के लिये ये ऐसा नहीं करते. यदि ऐसा इस वजह से नहीं है, तो फिर क्यों? और अगर वजह यही है तो सरोकारी पत्रकारिता का झूठा दम्भ क्यों? फिर वही कि जैसा समय, वैसा मुखौटा.
सच कहा आपने, समाचार अपने आप में रोचक होते है, पर एक स्तर तक। उनमें जबरजस्ती तड़का लाने की कोई आवश्यकता नहीं समझ आती है।
ReplyDeleteपूर्ण सहमत ! टाइम्स ऑफ़ इंडिया की साईट पर तो मैं लिखते लिखते थक गया कि यों शिक्षा के नाम पर यह गोरख धंधा बंद किया जाए, लेकिन इन्हें तो अपने धंधे की पडी है !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआपकी पोस्ट के लिंक की चर्चा कल रविवार (20-01-2013) के चर्चा मंच-1130 (आप भी रस्मी टिप्पणी करते हैं...!) पर भी होगी!
सूचनार्थ... सादर!
आपसे पूर्ण सहमति है। यह पत्रकारिता के नहीं गैरजिम्मेदार दूकानदारी के नमूने हैं।
ReplyDeleteसही कहा है ... कई बार ऑनलाइन ख़बरों को पढ़ने जाओ तो शर्म सी आने लगती है ... ये सब अपनी दुकान चलाने के धंधे हैं ...
ReplyDeleteसामयिक और सटीक आलेख...बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteवरिष्ठ गणतन्त्रदिवस की अग्रिम शुभकामनाएँ और नेता जी सुभाष को नमन!
मीडिया की नैतिकता और सामाजिक जिम्मेदारियों पर व्यावसायिकता हावी है.
ReplyDeleteWe cannot rely on anyone in this corrupt ERA. All are alike.
ReplyDeleteसच कहते हैं मिडिया और तन बेचने वालों में कोई फर्क नही ।
ReplyDeleteसर, यह सब हमें ऐसे दृष्यों, ऐसी बातों, ऐसी सेलेब्रिटीज़ के प्रति used to करने के लिये हो रहा है और इसमें हम सब जिम्मेदार हैं।
ReplyDeleteकिन्तु उनकी वेब-साइट्स पर ऐसे ऐसे फोटो अपलोड़ किये जाते हैं कि उन्हें देखकर कोई भी सम्भ्रान्त व्यक्ति दोबारा साइट पर आने से तौबा कर ले.
ReplyDeleteशर्मनाक ....!!
जन बिका है मन बिका है और नेता बिक गया
ReplyDeleteन्याय बिकता काम बिकता और मीडिया बिक गया
अच्छा मुद्दा उठाया आपने। बुरी हालत है।
ReplyDeleteइन्हें सिर्फ पैसा चाहिए ...
ReplyDeleteशुभकामनायें आपको !
क्या कहूं। बेहतर है चुप रहना ।
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