Thursday, February 21, 2013

ब्लैंक चेक, शोक संदेश वाले ड्राफ्ट के प्रयोग का समय

हैदराबाद में फिर धमाके हो गये. फिर अब बयानबाजी का दौर शुरू हो जायेगा कि अपराधियों को बख्शा नहीं जायेगा. आतंकवादियों का कोई धर्म नहीं होता. संवेदनायें प्रकट करने के लिये नेताजी टेलीविजन पर बयान पढ़ते हुये दिखाई देने लगेंगे. कड़े कदम उठाये जाने की बातें फिर दोहराई जायेंगी. मुआवजे की राशि की घोषणा, टेलीविजन पर बहस-मुबाहसा.  अगर पिछले बम-विस्फोटों के समय के बयानों को देखा जाये तो फर्क सिर्फ समय, स्थान और बोलने वालों का तथा मरने वालों का होगा. यदि कार्यपालिका पूरी तत्परता के साथ काम करे तो मजाल है कि कोई बच कर निकल जाये. लेकिन ऐसा हो क्योंकर. जिम्मेदारी एक-दूसरे के ऊपर टालना सब को बखूबी आता है. हर कोई जानता है कि भारत में भ्रष्टाचार इस सब के मूल में है, लेकिन सब ठीकरा जनता के ऊपर फोड़ देते हैं, जनता ग्लानि से भर जाती है और अन्तत्वोगत्वा फिर से उसी जाल में फंस जाती है. तो फिर से चार दिन सोशल मीडिया पर भड़ास निकालिये और जब समय आये तो भ्रष्टाचार की नदी में डुबकी लगाईये और जब वोट देने जायें तो नाम के आगे-पीछे देखकर मोहर लगाईये. क्योंकि इन धमाकों में काम आता है सिर्फ आम आदमी, जिसकी वकत वोट देने के समय भर तक ही होती है.

8 comments:

  1. भ्रष्टाचार - एकदम सही कहा आपने!

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  2. मुझे लगता है कुछ लोगों की रोजी-रोटी ही इस पर चलती है ... :-(

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  3. इन्हें भी सबसे बड़ी दवा का सहारा है, समय। धीरे धीरे सब पचा लेंगे लोग, बड़े सहनशील जो हैं।

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  4. फिर वही पुराने रटे -रटाये अल्फ़ाज़ ...गुनाहगारो को बख्शा नही जायेगा..... आतंकी और पड़ोसी मुल्क हमारे धैर्य की परीक्षा ले रहा है ..अमन और शान्ति बनाये रखे......सुरक्षा ववस्था और मज़बूत कर दी गई है (नेताओं की) .और फिर अगले बम विस्फोट का मुसलसल इंतजार..... !!!!!! मेरा भारत महान !!!!!!!!!!

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  5. जिस देश में आतंकवाद को लेकर भी राजनीति हो उसको भी अपने राजनीति के हिसाब से रंगा जाये , सेना के लोग घोटालो में पकडे जाये , पुरे देश में आतंकवाद से लडके के लिए कोई एक एजेंसी न हो , उस देश का भगवान भी न रक्षा कर सकते है और न हीं भला कर सकते है

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  6. सच लिखा है.यह सारा खेल एक एक कुचक्र सा है जिसमें हर बार आम आदमी ही फंसता है.इन सब में दोषी पब्लिक मेमोरी भी है जिसे कहते हैं न कि क्षणिक होती है.

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  7. अब तो आदत पड़ गई है धीरे-धीरे।

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मैंने अपनी बात कह दी, आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा है. अग्रिम धन्यवाद.