Thursday, October 25, 2012

और अब फैजाबाद में हिंसा

लिंक यह है. दुर्गा प्रतिमाओं के विसर्जन पर यात्रा के दौरान माँ हट्टी महरानी के मंदिर के पास समुदाय विशेष के लोगों ने शोभायात्रा देखने आयीं महिलाओं के साथ अभद्रता की और इसके बाद फिर मारपीट, तल्खी फिर तनाव और आगजनी. आखिर क्यों समुदाय विशेष की ही भावनायें ऐसा जोर मारती हैं, फिर चाहे वे उनके त्योहार हों या फिर समुदाय अविशेष के. जहाँ बात बात में धार्मिक दिशा-निर्देश जारी किये जाते हों, वहाँ इस बात के लिए क्यों नहीं किये जाते कि किसी भी हालत में हिंसा न की जाये, मारपीट न की जाये. क्या शान्ति के पथ पर चलने वाले इसी तरह की शान्ति लाना चाहते हैं. आखिर कब तक इस तरह की घटनायें सभ्य समाज में होती रहेंगी और कब तक इन्हें नासमझी में, भावनाओँ के आवेग में हुई मानकर नेगलेक्ट करना चाहिये. क्या ऐसे तत्वों के खिलाफ ऐसी अनुकरणीय कार्रवाई नहीं होना चाहिये कि आने वाले समय में कोई भी व्यक्ति इस तरह का दुस्साहस न कर सके.

6 comments:

  1. निन्दनीय है, पता नहीं क्यों बढ़ावा मिल रहा है ऐसे तत्वों को...

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  2. शायद यह सब अपने आप नहीं होता, स्वार्थी तत्व अपना हित साधने के लिये लोगों की भावनाएं भडकाते हैं. लेकिन यह सब बर्दाश्त किसी कीमत पर नहीं करना चाहिये, गुनहगारों को सजा अवश्य मिलनी चाहिये.

    रामराम.

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  3. Replies
    1. मुझे लगता है कि आपकी टिप्पणी सेव नहीं हुई, क्योंकि स्पैम में भी नहीं है.

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  4. राजनीती ऐसी कोई कार्यवाही करने दे तब तो....पहले दिन से ही राजनितिक दखल होने लगे थे।

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  5. sahi bat hai....par hamen bhi jagrook hona pdega ...

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मैंने अपनी बात कह दी, आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा है. अग्रिम धन्यवाद.