Saturday, August 13, 2011

पिछले दिनों जिन चीजों ने झकझोरा

उत्तर प्रदेश में भूमि अधिग्रहण  व्यवस्था में संशोधन कर दिया गया है, अब सरकार जिस  जमीन को अधिग्रहीत कर लेगी उसे कभी वापस नहीं किया जा सकेगा, फिर वह जमीन वर्षों तक बेकार ही क्यों न पड़ी रहे. विपक्ष अब चिल्ला  रहा है कि कैसा संशोधन पारित हो गया.

कांवरिये बरसों से जिस  मार्ग से निकलते आते रहे हैं, उस इलाके में अल्पसंख्यकों (मुस्लिमों) की  संख्या  बढ़ जाए तो फिर कांवरियों के  निकलने से भावनाएं आहत होती हैं, किन्तु हिन्दुओं की अधिकता वाले  इलाकों में निर्धारित  मार्ग से ताजियों के निकलने से हिन्दुओं को कोई परेशानी नहीं होती.

एक पत्रकार कह रहे हैं कि अन्ना ने चार लाख फ़ार्म बांटे, लेकिन अस्सी हजार वापस मिले अर्थात  लोगों ने अन्ना को नकार दिया. मुझे नहीं लगता कि यही बात वे हमारे चुने गए जन-प्रतिनिधियों के बारे में लिखेंगे. आखिर चालीस- पचास  प्रतिशत लोग किसी को वोट नहीं  देते और जीतने वाला कुल मतों का बीस - पच्चीस प्रतिशत पाकर जीत जाता है तो फिर ये भी तो नकारे हुए हैं.

आरक्षण फ़िल्म को देखे बिना ही विवादित बना दिया गया है. इस फ़िल्म से आरक्षण पर कोई प्रभाव पड़ेगा, नहीं लगता. लेकिन नेता हैं कि दलितों का सबसे बड़ा हितैषी दिखने के लिए फ़िल्म का विरोध करने पर उतारू हैं. आरक्षण की इस व्यवस्था में  अल्पसंख्यकों को लाने से क्या प्रभाव पड़ेगा, उस पर ध्यान देने की आवश्यकता है. अब इस फ़िल्म में क्या है, देखने से ही पता चलेगा.

कश्मीर के अलगाव-वादी नेता (?)  अब तय करेंगे कि किसे  फाँसी हो  और किसे नहीं,  मीर वाइज उमर ने  एक बयान में कहा है कि अफजल को फाँसी होने पर परिणाम गंभीर होंगे.  मतलब भारत की सर्वोच्च संस्था पर हमला करने वाले को इसलिए फांसी न दी जाए कि मीर वाइज की ऐसी ही मर्जी है. ये तो राष्ट्रपति और संसद से भी बड़े हो गए. 

लखनऊ में  एक चाय वाले को एक मुस्लिम बच्चा मिला, जिसे उसने पाला-पोसा और मुस्लिम नाम ही रखा रहने दिया. उसने उस बच्चे के माँ-बाप को खोजा किन्तु वे नहीं मिले. कई वर्षों बाद उसकी माँ को पता   चला और अब उसने एक दलील यह भी दी है कि उस बच्चे को हिन्दू के यहाँ रहने पर सांप्रदायिक तनाव भी हो सकता है.

राहुल भैया, महाराष्ट्र के किसानों की छाती पर गोलियां चली हैं. उनपर भी नजर डालिए. वहां भी किसान मरे हैं, वे किसान जो सर्दी-गर्मी-बरसात झेलकर हमारा पेट भरते हैं.

18 comments:

  1. अरे किसान की कौन सुने
    सत्ता का खेल जारी है

    जंगल जमीन सब छीन रहे
    अब पानी की बारी है

    सुन सकते हो लालबहादुर
    क्या हुआ तुम्हारा नारा

    जो अधिकारों की मांग करे
    वो मारा जाय बेचारा

    पुलिस कर रही हत्याएं
    और सरकारें सोती हैं

    आह, चार को मार दिए
    भारत माता भी रोती हैं

    वो किसान हैं कहाँ जांय
    क्या करें तुम्ही बतलाओं

    रक्षा करो अन्नदाता की
    स्वर्ग से वापस आओ

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  2. सभी बाते झकझोर देनी वाली है

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  3. मन उद्वेलित सा हो रहा है.

    रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  4. अखबार पढ़ना बन्द कर दिया है, नित झकझोरता है।

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  5. पढ़कर सच में मन उद्वेलित हुआ.....

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  6. बहुत से मुद्दे उठाए आपने। आत्ममंथन के अलावा कुछ सूझ नहीं रहा। शायद उसी से हमारे बदलने की शुरूआत हो।

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  7. कुछ तो ग़लत हो रहा है। स्थिति कैसे बदले इस पर असहमति हो सकती है परंतु स्थिति बदलना है बहुत ज़रूरी।

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  8. सभी जो इनसे गुजरे होंगे...अहसास तो यही किया होगा...

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  9. अच्छा मुद्दा उठाया है आपने विचारणीय पोस्ट

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  10. राहुल भईया अपनी मम्मी के साथ यु एस ऐ में होंगे ... उन्हें का फरक पढता है ऐसन बातों का ...

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  11. काफी हिला देने वाले मुद्दे हैं । पर इस लंबी लाइन को छोटी करना ही होगा । अच्छी बातें करके उनके बारे में अपने ब्लॉग पर चर्चा कर के । कुछ कुछ अच्छा भी हो रहा है इस देश में । उन अच्छी बातों को बढावा देने से । जैसे कि आपने कहा कि एक हिंदू ने एक मुसलमान बच्चे को मुसलमान की तरह पाला े एक हिंदू की अच्छाई को उजागर करता है । उसका नाम देते तो और भी अच्छा होता । इसी तरह धर्म और जात से ऊपर उठ कर हम अच्छी बातें बताने का प्रण करेंउससे हम आँख कान खुले रखेंगे और बिना किसी पूर्वाग्रह के अच्छे कामों को देख सकेंगे ।

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  12. @ asha ji- lekin us ki maa aur uske wakil ke liye kya kahengi, jisne ye aarop lagaya ki bachcha hindoo ke paas rahega to sampradayki tanav bhadkega...

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  13. मन व्यथित हो गया पढ़कर, खासकर बच्चे की माँ का वक्तव्य सुनकर । कोई और माँ होती तो कृतज्ञता के भाव से भर जाती और चाय वाले की उदारता पर निहाल हो जाती । धन्य है वो chaiwala , लेकिन एहसान फरोशों से दुनिया पटी पड़ी है।

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  14. क्षोभ का यही कारण है.. और ठीकरा कलयुग के उपर फोड़ा जाता है..

    क्या सही और गलत की समझ हम खोते जा रहे हैं..??

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  15. अच्छा लिखा है. सचिन को भारत रत्न क्यों? कृपया पढ़े और अपने विचार अवश्य व्यक्त करे.
    http://sachin-why-bharat-ratna.blogspot.com

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  16. और अब उसने एक दलील यह भी दी है कि उस बच्चे को हिन्दू के यहाँ रहने पर सांप्रदायिक तनाव भी हो सकता है.

    उन्हें बच्चे से प्यारा धर्म है ......

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  17. ’किस किसको याद करिये, किस किसको रोईये,
    आराम बड़ी चीज है, मुँह ढँक कर सोईये।"

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मैंने अपनी बात कह दी, आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा है. अग्रिम धन्यवाद.