उत्तर प्रदेश में भूमि अधिग्रहण व्यवस्था में संशोधन कर दिया गया है, अब सरकार जिस जमीन को अधिग्रहीत कर लेगी उसे कभी वापस नहीं किया जा सकेगा, फिर वह जमीन वर्षों तक बेकार ही क्यों न पड़ी रहे. विपक्ष अब चिल्ला रहा है कि कैसा संशोधन पारित हो गया.
कांवरिये बरसों से जिस मार्ग से निकलते आते रहे हैं, उस इलाके में अल्पसंख्यकों (मुस्लिमों) की संख्या बढ़ जाए तो फिर कांवरियों के निकलने से भावनाएं आहत होती हैं, किन्तु हिन्दुओं की अधिकता वाले इलाकों में निर्धारित मार्ग से ताजियों के निकलने से हिन्दुओं को कोई परेशानी नहीं होती.
एक पत्रकार कह रहे हैं कि अन्ना ने चार लाख फ़ार्म बांटे, लेकिन अस्सी हजार वापस मिले अर्थात लोगों ने अन्ना को नकार दिया. मुझे नहीं लगता कि यही बात वे हमारे चुने गए जन-प्रतिनिधियों के बारे में लिखेंगे. आखिर चालीस- पचास प्रतिशत लोग किसी को वोट नहीं देते और जीतने वाला कुल मतों का बीस - पच्चीस प्रतिशत पाकर जीत जाता है तो फिर ये भी तो नकारे हुए हैं.
आरक्षण फ़िल्म को देखे बिना ही विवादित बना दिया गया है. इस फ़िल्म से आरक्षण पर कोई प्रभाव पड़ेगा, नहीं लगता. लेकिन नेता हैं कि दलितों का सबसे बड़ा हितैषी दिखने के लिए फ़िल्म का विरोध करने पर उतारू हैं. आरक्षण की इस व्यवस्था में अल्पसंख्यकों को लाने से क्या प्रभाव पड़ेगा, उस पर ध्यान देने की आवश्यकता है. अब इस फ़िल्म में क्या है, देखने से ही पता चलेगा.
कश्मीर के अलगाव-वादी नेता (?) अब तय करेंगे कि किसे फाँसी हो और किसे नहीं, मीर वाइज उमर ने एक बयान में कहा है कि अफजल को फाँसी होने पर परिणाम गंभीर होंगे. मतलब भारत की सर्वोच्च संस्था पर हमला करने वाले को इसलिए फांसी न दी जाए कि मीर वाइज की ऐसी ही मर्जी है. ये तो राष्ट्रपति और संसद से भी बड़े हो गए.
लखनऊ में एक चाय वाले को एक मुस्लिम बच्चा मिला, जिसे उसने पाला-पोसा और मुस्लिम नाम ही रखा रहने दिया. उसने उस बच्चे के माँ-बाप को खोजा किन्तु वे नहीं मिले. कई वर्षों बाद उसकी माँ को पता चला और अब उसने एक दलील यह भी दी है कि उस बच्चे को हिन्दू के यहाँ रहने पर सांप्रदायिक तनाव भी हो सकता है.
राहुल भैया, महाराष्ट्र के किसानों की छाती पर गोलियां चली हैं. उनपर भी नजर डालिए. वहां भी किसान मरे हैं, वे किसान जो सर्दी-गर्मी-बरसात झेलकर हमारा पेट भरते हैं.
अरे किसान की कौन सुने
ReplyDeleteसत्ता का खेल जारी है
जंगल जमीन सब छीन रहे
अब पानी की बारी है
सुन सकते हो लालबहादुर
क्या हुआ तुम्हारा नारा
जो अधिकारों की मांग करे
वो मारा जाय बेचारा
पुलिस कर रही हत्याएं
और सरकारें सोती हैं
आह, चार को मार दिए
भारत माता भी रोती हैं
वो किसान हैं कहाँ जांय
क्या करें तुम्ही बतलाओं
रक्षा करो अन्नदाता की
स्वर्ग से वापस आओ
सभी बाते झकझोर देनी वाली है
ReplyDeleteमन उद्वेलित सा हो रहा है.
ReplyDeleteरक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं.
रामराम.
अखबार पढ़ना बन्द कर दिया है, नित झकझोरता है।
ReplyDeleteपढ़कर सच में मन उद्वेलित हुआ.....
ReplyDeleteबहुत से मुद्दे उठाए आपने। आत्ममंथन के अलावा कुछ सूझ नहीं रहा। शायद उसी से हमारे बदलने की शुरूआत हो।
ReplyDeleteकुछ तो ग़लत हो रहा है। स्थिति कैसे बदले इस पर असहमति हो सकती है परंतु स्थिति बदलना है बहुत ज़रूरी।
ReplyDeleteसभी जो इनसे गुजरे होंगे...अहसास तो यही किया होगा...
ReplyDeleteअच्छा मुद्दा उठाया है आपने विचारणीय पोस्ट
ReplyDeleteराहुल भईया अपनी मम्मी के साथ यु एस ऐ में होंगे ... उन्हें का फरक पढता है ऐसन बातों का ...
ReplyDeleteकाफी हिला देने वाले मुद्दे हैं । पर इस लंबी लाइन को छोटी करना ही होगा । अच्छी बातें करके उनके बारे में अपने ब्लॉग पर चर्चा कर के । कुछ कुछ अच्छा भी हो रहा है इस देश में । उन अच्छी बातों को बढावा देने से । जैसे कि आपने कहा कि एक हिंदू ने एक मुसलमान बच्चे को मुसलमान की तरह पाला े एक हिंदू की अच्छाई को उजागर करता है । उसका नाम देते तो और भी अच्छा होता । इसी तरह धर्म और जात से ऊपर उठ कर हम अच्छी बातें बताने का प्रण करेंउससे हम आँख कान खुले रखेंगे और बिना किसी पूर्वाग्रह के अच्छे कामों को देख सकेंगे ।
ReplyDelete@ asha ji- lekin us ki maa aur uske wakil ke liye kya kahengi, jisne ye aarop lagaya ki bachcha hindoo ke paas rahega to sampradayki tanav bhadkega...
ReplyDeleteमन व्यथित हो गया पढ़कर, खासकर बच्चे की माँ का वक्तव्य सुनकर । कोई और माँ होती तो कृतज्ञता के भाव से भर जाती और चाय वाले की उदारता पर निहाल हो जाती । धन्य है वो chaiwala , लेकिन एहसान फरोशों से दुनिया पटी पड़ी है।
ReplyDeleteuff
ReplyDeletebas yahii kehnae kaa man hua
क्षोभ का यही कारण है.. और ठीकरा कलयुग के उपर फोड़ा जाता है..
ReplyDeleteक्या सही और गलत की समझ हम खोते जा रहे हैं..??
अच्छा लिखा है. सचिन को भारत रत्न क्यों? कृपया पढ़े और अपने विचार अवश्य व्यक्त करे.
ReplyDeletehttp://sachin-why-bharat-ratna.blogspot.com
और अब उसने एक दलील यह भी दी है कि उस बच्चे को हिन्दू के यहाँ रहने पर सांप्रदायिक तनाव भी हो सकता है.
ReplyDeleteउन्हें बच्चे से प्यारा धर्म है ......
’किस किसको याद करिये, किस किसको रोईये,
ReplyDeleteआराम बड़ी चीज है, मुँह ढँक कर सोईये।"