कुछ मुस्लिम संगठनों ने लाहौर में सिखों को उनके धार्मिक समारोह करने से रोक दिया और दावत-ए-इस्लामी नामक समूह के प्रयासों से सिखों के वाद्य यन्त्रों को उठाकर फेंक दिया. पूरी खबर यहां है.
"लाहौर में सिखों को नहीं करने दिया धार्मिक समारोह इस्लामाबाद, प्रेट्र : पाकिस्तान में लाहौर के पूर्वी क्षेत्र में सिखों को एक गुरुद्वारे में धार्मिक समारोह आयोजित करने से रोक दिया गया है। यह फैसला प्रशासन ने एक संगठन द्वारा यह यकीन दिलाने के बाद किया कि मुस्लिम त्योहार शब-ए-बरात सिखों के त्योहार से ज्यादा महत्वपूर्ण है। द ट्रिब्यून अखबार के मुताबिक, दावत-ए-इस्लामी समूह के प्रयासों से 13 जुलाई को सिखों के वाद्य यंत्रों को बाहर फेंक दिया गया और गुरुद्वारे में उनका प्रवेश वर्जित कर दिया गया। गुरुद्वारे के बाहर पुलिस को तैनात किया गया, ताकि वह सिखों को अपना धार्मिक कार्यक्रम आयोजित करने से रोके। सोमवार को शब-ए-बरात है। लाहौर के नौलखा बाजार में गुरुद्वारा शहीद भाई तारू सिंह सिख संत की याद में बनवाया गया था। हालांकि विभाजन के बाद गुरुद्वारे पर इवैक्यूइ ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड (इटीपीबी) का अधिकार हो गया था और सिखों को कुछ प्रतिबंधों के साथ इसका उपयोग जारी रखने की अनुमति दे दी गई थी। चार साल पहले दावत-ए-इस्लामी ने दावा किया था कि यह गुरुद्वारा 15वीं शताब्दी के मुस्लिम संत पीर शाह काकू की मजार पर बनाया गया है। इसके बाद सिखों ने इटीपीबी से संपर्क किया, जो दोनों समुदायों को अपनी मान्यताओं के अनुसार गुरुद्वारे में धार्मिक उत्सव मनाने की अनुमति देती है।"
अब यदि इस्लाम और कुरान तथा अन्य मुस्लिम धर्म-ग्रन्थ दूसरे धर्मानुयायियों के साथ भेद-भाव की इजाजत नहीं देते, मजहब के आधार पर किसी अन्य व्यक्ति या मजहब पर अत्याचार की इजाजत नहीं देते तो फिर ये किस प्रकार की गैर-इस्लामी हरकते हैं और कौन लोग इन्हें अंजाम दे रहे हैं. तथा ऐसे संगठनों और इनसे जुड़े लोगों के खिलाफ मजहबी नेता फतवे जारी क्यों नहीं करते. कहीं ऐसा तो नहीं कि इनके पैमाने भी अलग-अलग हों और समानता की, न्याय की, सभी को एक बराबर मानने की बातें मात्र दिखावा करने भर को की जाती हों इन लोगों के द्वारा.
घटना शर्मनाक है परंतु पाकिस्तान से और उम्मीद भी क्या की जा सकती है?
ReplyDeleteमुझे पूरा विश्वास है कि पाकिस्तान में हुई इस घटना के खिलाफ हमारे देश में फतवे जारी होंगे.
ReplyDeleteकश्मीर में मानवाधिकार हनन की बात करने वाला पाकिस्तान अब चुप क्यों है। यह पाकिस्तान का दोगला चरित्र है जिसके बारे में हम पहले से ही जानते हैं। चिन्ता की बात यह है कि न तो भारत न ही अन्तर्राष्ट्रीय बिरादरी ने अभी तक इस पर कोई प्रतिक्रिया दी है।
ReplyDeleteकौन सी नई बात है..वे तो आपस में मुसलमानों में ही भेदभाव करते हैं...फिर यहाँ तो बार दूसरे धर्म की है.
ReplyDeleteपाकिस्तान से और क्या उम्मीद की जा सकती है
ReplyDeleteऔर अब तो भारत में कुछ ऐसी घटना देखने को मिली है लेकिन ये और बात है यहाँ इस तरह के लोगो को मुंह की कहानी पड़ी है
तभी तो आतंक खत्म होने की बजाए फल-फूल रहा है!
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आतंकी हमले हुए, सफल हुए षड़यन्त्र।
फिर से निष्फल हो गया, अपना खुफिया तन्त्र।।
दहशतगर्दों के लिए, स्वर्ग हुआ यह देश।
अमल-धवल सी घरा का, बिगड़ गया परिवेश।।
शासक अब भी बोलते, रटे-रटाए मन्त्र।
वाचालों की चाल में, उलझ गया जनतन्त्र।।
महामहिम के द्वार से, मिला न कोइ ज़वाब।
कारागृह में खा रहे, जमकर माल कसाब।।
पाकिस्तान का एतिहासिक गुरूद्वारा मुस्लिम पीर की मजार है ! भारत में कश्मीर स्थित संत ईसा मसीह की ऐतिहासिक समाधि मुस्लिम पीर की मजार है ! मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में स्थित गैर मुस्लिमों के धर्मस्थल पीरों के मजार घोषित कर दिये जाते है आखिर क्यों ?
ReplyDeleteहमें अरब साम्राज्यवादी मानसिकता वाले इस्लाम की सच्चाई को समझना होगा और उसकी अमानवीय सोच व दुष्कृत्यों का प्रतिकार करना होगा ।
भगवान ही मालिक है इस मानसिकता का।
ReplyDeleteअत्यंत शर्मनाक और घॄणास्पद घटना.
ReplyDeleteरामराम.