Thursday, January 20, 2011

बस यूं ही..

16 comments:

  1. .

    तस्वीरों ने सब कह दिया !

    Alas !

    .

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  2. (अब) दल्ले के बाप की जागीर जो है वो !

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  3. झन्डा फ़हराने और रोकने की कवायत सिर्फ़ और सिर्फ़ राजनीति है . मुरली मनोहर जोशी ने भी फ़हराया था उसके बाद ६ साल मन्त्री रहते हुये तो कभी नही गये वहा

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  4. राजनीति के घाट पर भई --- की भीड़।

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  5. तस्वीरों ने सब कह दिया !

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  6. गम्भीर चित्रण!!

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  7. तस्वीरे बोलती हैं ... दास्ताँ ....

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  8. भाई यासीन मालिक जी सपना देख रहे होंगे........... देख लेने दो सुबह तो होगी ही.

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  9. चित्रों ने सब कुछ सीधे-सीधे बयाँ कर दिया है।इसके चलते आपका पोस्ट किसी भी टिप्पणी का मोहताज नही है। पोस्ट अच्छा लगा।धन्यवाद।

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  10. कुछ कहना बाकी है क्या

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  11. आजादी, धर्मनिर्पेक्षता, मानवाधिकार, स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति, अलाना, फ़लाना सब इनके समर्थन में जो हैं।

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  12. इम्फ्लेमेबल्स अलाउड नहीं! जो वहां पहले से हैं, उन्हे फ्लश आउट कौन करेगा?! :(

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मैंने अपनी बात कह दी, आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा है. अग्रिम धन्यवाद.