जो मन में आया वह सब आपके सामने. सर पर मैला ढ़ोते लोगों को देखकर मन कराह उठता है. मुझे लगता है कि सहानुभूति के स्थान पर स्वानुभूति अपनाना बेहतर है. बढ़ती जनसंख्या, पर्यावरण का विनाश और पानी की बर्बादी बहुत तकलीफ देती है. दर्द उस समय और भी बढ़ जाता है जब कानून का पालन कराने वाले ही उसे तुड़वाते हैं.
बहुत सुन्दर, उसे भी तो मौके का फायदा मिलना ही चाहिए ! कल ऐसा ही एक कार्टून देखकर हंसी आ गई थी जिसमे मोटे कपडे से मायावती की मूर्तियों को ढके जाते वक्त एक ठण्ड से ठिठुरता नंगा भिखारी टकटकी लगाए देख रहा था ! बस यही मुह से निकला ; मेरा भारत महान !
हां,बहुत हुआ। अब सब कुछ नए की दरकार है।
ReplyDeleteभगवान आपकी तमन्ना पूरी करे!!
ReplyDeleteबिल्कुल ठीक है|
ReplyDeleteसही जा रहा है ये :)
ReplyDeleteबड़ी अच्छी कामना है, जरुर पूरी हो.....मगर फिर दिखेगा कौन..
ReplyDeleteऐसी सियासी परिस्थियों में हर दिल की प्रार्थना अलग होती है....बढ़िया कार्टून.
ReplyDeleteपर्दा है पर्दा..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर, उसे भी तो मौके का फायदा मिलना ही चाहिए ! कल ऐसा ही एक कार्टून देखकर हंसी आ गई थी जिसमे मोटे कपडे से मायावती की मूर्तियों को ढके जाते वक्त एक ठण्ड से ठिठुरता नंगा भिखारी टकटकी लगाए देख रहा था ! बस यही मुह से निकला ; मेरा भारत महान !
ReplyDeleteएक बार फिर अनावरण का मौका?
ReplyDeleteसभी पर कपडा .............। हा हा हा ।
ReplyDeleteजय भारत देश ... यहाँ जिसकी जितनी चलती है वो उतनी चलाता है ...
ReplyDeleteज्यादा थोड़े ही माँग रहा हैं इसकी भी कामना पूरी होनी चाहिए...
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