जो मन में आया वह सब आपके सामने. सर पर मैला ढ़ोते लोगों को देखकर मन कराह उठता है. मुझे लगता है कि सहानुभूति के स्थान पर स्वानुभूति अपनाना बेहतर है. बढ़ती जनसंख्या, पर्यावरण का विनाश और पानी की बर्बादी बहुत तकलीफ देती है. दर्द उस समय और भी बढ़ जाता है जब कानून का पालन कराने वाले ही उसे तुड़वाते हैं.
Sunday, January 15, 2012
गृह सचिव के पास डाक
सूबे में कौन है असली प्रमुख सचिव गृह?दैनिक जागरण १४/०१/२०१२
सरकारें यूं ही चलती हैं ☺
ReplyDelete:)
ReplyDeleteजैसे सिगरेट में फ़िल्टर होता है।
ReplyDeleteयूपी में तो राम ही राखे!
ReplyDelete:) अंधेर नगरी है !
ReplyDelete