Saturday, February 19, 2011

एक सलाह मजबूरी पर...

मनमोहन ने कर दिया, ताल ठोंक ऐलान
देखा होगा न  कहीं,  मुझ  जैसा इन्सान
मुझ जैसा इन्सान, घना मजबूर मैं दुखिया
कहने को मैं प्रधान,  नहीं हूं लेकिन मुखिया
कह दानव कविराय, जगो अब मोहन भैया
अर्धसत्य को त्याग, सत्य की खेवो नैया

Tuesday, February 15, 2011

राहत फतेह अली खान के पकड़ने और छूटने पर वेबसाइट पर प्रकाशित समाचार और कुछ लोगों के विचार...

अघोषित विदेशी मुद्रा ले जाने के आरोप में रविवार को गिरफ्तार पाकिस्तानी गायक राहत फतेह अली खान और उनके दोनों सहयोगियों को छोड़ दिया गया है। हालांकि उनका पासपोर्ट और अन्य कागजात राजस्व खुफिया निदेशालय ने जब्त कर लिए हैं इसलिए राहत वापस पाक नहीं जा पाएंगे। राहत को 17 फरवरी को दोबारा पूछताछ के लिए हाजिर होने को कहा गया है।
निदेशालय ने कहा कि राहत को आधिकारिक रूप से गिरफ्तार नहीं किया गया था। वे केवल हिरासत में थे। पहले निदेशालय के अफसरों ने कहा था कि कस्टम कानून के तहत राहत को गिरफ्तार कर लिया गया है। लेकिन बताया जाता है कि राहत की गिरफ्तारी के बाद पाकिस्तान की ओर से बने कूटनीतिक दबाव ने अपना काम किया और राहत को छोड़ दिया गया
पाकिस्तानी संगीतकार व गायक अली जफर ने कहा कि यह दुखद है। मुझे घटना के विषय में विस्तृत जानकारी नहीं है, मैं नहीं जानता कि कैसे, क्या हुआ। 
निर्देशक और संगीतकार विशाल भारद्वाज ने कहा कि जो कुछ हुआ वह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि वह सबसे पहले एक कलाकार हैं। हम सभी जानना चाहेंगे कि वास्तविक सच क्या है। राहत फतेह अली खान सिर्फ पाकिस्तान से ही ताल्लुक नहीं रखते हैं, वह भारत के महान गायकों में से भी एक हैं।उन्होंने कहा कि अगर कुछ हुआ है तो भी वह एक कलाकार हैं इसलिए उन्हें प्रताड़ित नहीं किया जाना चाहिए। उन्हें वापस जाने की इजाजत दी जानी चाहिए। वह एक ऐसे कलाकार हैं जो दोनों देशों में सम्मानित हुए हैं।
विदेशी करंसी के साथ इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर पकड़े गए पाकिस्तानी गायक राहत फतेह अली खान को राहत मिल सकती है। सूत्रों के मुताबिक डीआरआई(राजस्व निदेशालय) राहत के खिलाफ कस्टम एक्ट के कड़े कानून की बजाए भारी जुर्माना लगाने पर विचार कर रहा है। राहत को रविवार शाम दिल्ली एयरपोर्ट से सवा लाख डॉलर के साथ पकड़ा गया था।डीआरआई की पूछताछ में इस प्रख्यात गायक ने अपने बचाव में अजीबोगरीब दलील दी। राहत ने कहा कि वो सिर्फ पांचवीं तक पढ़े हैं इसलिए उन्हें भारतीय कानून की जानकारी नहीं थी। यही वजह है कि वो इतना पैसा ले जा रहे थे।
सूत्रों के मुताबिक राहत फतेह अली खान पहले भी भारी तादाद विदेशी करेंसी ले जा चुके हैं। एजेंसियों ने उन्हें इस बारे में चेतावनी भी दी थी। तभी से राहत और उनके मैनेजर की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही थी।
अपनी गलती की वजह से फंसे राहत को आने वाले दिनों में इन दोनों पार्टियों के भारी विरोध का सामना करना पड़ सकता है।
भारतीय कलाकारों के लिये पाकिस्तान में क्या नियम-कानून लागू किये जाते हैं, किसी से ढ़ंका-छुपा नहीं है, लेकिन फिर भी.........

Sunday, February 13, 2011

क्या हमें बाहर से किसी धक्के की आवश्यकता है..?

महबूबा मुफ्ती एक पावर प्वाइंट प्रजेन्टेशन में कश्मीर के कुछ हिस्सों को चीन और पाकिस्तान का मान रही हैं. विजन आन कश्मीर नाम के इस प्रजेन्टेशन में महबूबा श्रीनगर को चीन के यारकंद से जोड़ना चाहती हैं. चीन पहले ही कश्मीर को विवादित मानता आ रहा है और कश्मीर तथा अरुणाचल के निवासियों को अलग से नत्थी कागज पर वीसा देने का प्रयास करता आया है. महबूबा मुफ्ती के इस नये कदम से पाकिस्तान और चीन का मनोबल निश्चित रूप से बढ़ेगा और अलगाववादियों का मनोबल भी. भारत की अखंडता पर खतरा किन लोगों से है, शायद अब तो साफ हो जाना चाहिये. भेड़िया आया, भेड़िया आया का शोर मचाकर बहुत दिनों तक किसी को बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता और न ही  आंख मूंदने से खतरा दूर हो जाता है. सिर्फ आशा कर सकता हूं कि HOAX पर खामखाह जनता का ध्यान केन्द्रित न कराया जा जायेगा और आसन्न सच्चे खतरे को भांपकर उस पर कड़ी कार्रवाई की जायेगी. यदि इसे भी व्यर्थ का प्रलाप मानते हुये कड़ी कार्रवाई नहीं की जाती तो देश की अखंडता के ऊपर गम्भीर खतरा मंडरा रहा है..
यद्यपि भारत के कई हिस्सों पर पाकिस्तान और चीन ने कब्जा कर रखा है, लेकिन कब्जा होने के कारण से ही हम उसे अपने नक्शे से निकाल नहीं सकते. और यह तो फिर हमारी अस्मिता, हमारी पहचान की बात है. आज को कश्मीर के हिस्से, कल को देश का कोई और टुकड़ा हो सकता है, वह भी जिसमें हम आप रहते हैं. 

Wednesday, February 2, 2011

आईटीबीपी भर्ती से लौट रहे लड़कों के साथ शाहजहांपुर में विकराल हादसा.

बरेली में आईटीबीपी में ट्रेड़मैन की भर्ती होना थी. जिसके लिये ग्यारह प्रान्तों से लड़के आये थे. एक लाख संख्या बताई जाती है. पिछले दो दिनों से बरेली में थे. इससे पहले सम्भवत: उनतीस तारीख से आला हजरत का उर्स था जिसके चलते भी पांच लाख जायरीन देश भर से आये थे. इतनी बड़ी भीड़ को नियन्त्रित करने के लिये ठोस और व्यापक इन्तजामों की आवश्यकता थी.