Friday, March 16, 2012

क्या ऐसा भी संभव है.?

खबर और लिंक - इसके आधार पर किसे सांप्रदायिक कहा जाए.

14 comments:

  1. हाँ यह भी कोई बात है?

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  2. न जाने देश को क्या-क्या देखना बाक़ी है।

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  3. हिन्दुओं को ही सांप्रदायिक कहना बनता है, और किसी को कहेंगे तो कई तरह के आरोप लगेंगे।

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  4. पता नहीं कि कितना और न्याय शेष है।

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  5. सम्भावना नहीं, आज की वास्तविकता यही लग रही है। सही ग़लत की बात ही नहीं, जो जितना शोर मचाये, जितनी गाडियाँ रोके, जितनी आग लगाये, या जितनी बारूदी सुरगें या बम फ़ोड़ॆ, उसी की सुनवाई करके प्रशासन भी ग़लत उदाहरणों को बढावा दे रहा है। न्याय, प्रशासन और मानवाधिकार बहाल होने चाहिये और अपराधियों को सज़ा मिलनी चाहिये। हनुमान जयंति आज से नहीं हज़ारों वर्षों से मनती आ रही है और भारत के अन्दर भारतीय समारोहों को रोकने का अधिकार किसी को नहीं है। हाँ यह हमारी ज़िम्मेदारी भी बनती है कि हम संयम से काम लें और भड़कानेवाली कार्यवाही से बचें।

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  6. ऐसी बातों को इग्नोर करते रहना चाहिए वर्ना आपकी आने वाली सात पुश्तें भी साम्प्रदायिक घोषित कर दी जाएंगी.

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  7. आगे-आगे देखिये होता है क्या ............... फिर एक वह भी वक्त आयेगा जब पानी सिर के ऊपर से गुजर जाएगा और वर्ग संघर्ष छिड़ेगा और तब मालूम है यही वो तथाकथित सेक्युलर नेता, लूट की कमाई पर पली इनकी औलादे, जो आज इन्हें बढ़ावा दे रहे है, इनको सेक्युलर बताते है और हिन्दुओं को साप्रदायिक... वही फिर भले इन्सान बनकर इन्ही के विरुद्ध हिन्दुओं का नेतृत्व करने भी पहुँच जायेंगे, क्योंकि ये जानते है कि हिन्दू मूर्ख है !

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  8. sir ji sadar namaskar , kai dino tak cartoons nahi bana paa raha tha ....apne medicines ke business se fursat hi nahi mil pa rahi thi ....muafi chahta hoon ....aap ko bahut dhanyawad kyon ki aap hamesha se mere liye prernashrot rahe hain ....regards ....
    rajesh k dubey
    jabalpur

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  9. पता है हिन्दू सहन कर लेता हैं इसलिए लोग ऐसा कर देते हैं. नेता लोग वोट के चक्कर में समीकरण बिगाड़ रहे हैं जो एक दिन
    सबसे पहले उन्ही के लिए घटक होंगे.

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  10. आपसमे मसक्कत कब तक?
    लिख लिख के भांडने से क्या होगा? कितने लोग सडको पे निकले अफछल और कसाब का सर कलम करवाने?

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  11. अब विधायक इतनी हिम्मत कियों कर रहा है...यह सोचने की बात है.....

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  12. jo bhi vishay aapne uthaya hai vah waqai vicharniy hai----
    poonam

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  13. तुष्टिकरण की नीति देश के लिए सचमुच खतरनाक लगती है...सब वोट बैंक का खेला है.

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मैंने अपनी बात कह दी, आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा है. अग्रिम धन्यवाद.