कश्मीर घाटी में आतंकवादी अब अपने अस्तित्व के आखरी दौर में हैं. उनके ऊपर जो दबाव सेना ने बनाया है उस दबाव से निपटने के लिए उन्होंने अमरनाथ यात्रियों के ऊपर हमला किया है. यह कोई ढंकी छुपी बात नहीं कि इन आतंकियों को न केवल पडोसी देश से सहायता मिल रही है बल्कि कश्मीर के अलगाववादियों की तरफ से भी उनको सहयोग देने में कोई हीलाहवाली नहीं बरती जा रही. इसी क्रम में पिछले दिनों NIA द्वारा कई अलगाववादी नेताओं पर कार्रवाई की गयी है.
लेकिन यह देखना काफी दिलचस्प रहेगा कि केंद्र सरकार किस स्तर तक जाकर इन आतंकियों का उन्मूलन कर पाएगी. पंजाब के आतंकवाद और कश्मीर के आतंकवाद में बड़ा अंतर यह है कि कश्मीर के आतंकियों को अलगाववादी नेताओं के समर्थन के मुकाबले पंजाब के अलगाववादी नेताओं के समर्थन उस स्तर तक नहीं था एवं इस तरह और स्तर की राजनीति भी नहीं थी. निश्चित ही पंजाब में न तो पेड पत्थरबाज थे और पॉलिटिकल विल पॉवर भी काफी दृढ़ थी.
भारत एक बड़ा देश है और बाहरी शक्तियां इसे अस्थिर करने में लगी रहती हैं. यहाँ भी स्वार्थी तत्व उन शक्तियों के साथ मिलकर भारत को दुश्चक्र में फांस रहे हैं. अब समय की मांग है कि कैसे भी, by hook or by crook, कैसे भी इन साजिशकर्ताओं को कुचला जाए. स्पष्ट है कि इसी बदलाव की अपेक्षा जनता को पहले भी थी और अब भी है.