tag:blogger.com,1999:blog-3843971247209653970.post477193773587042423..comments2023-10-31T15:41:45.101+05:30Comments on भारतीय नागरिक-Indian Citizen: भ्रष्टाचार पर अरण्य रोदन के विषय मेंभारतीय नागरिक - Indian Citizenhttp://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comBlogger28125tag:blogger.com,1999:blog-3843971247209653970.post-26950072410083613362012-01-07T14:26:10.087+05:302012-01-07T14:26:10.087+05:30आभार!! इस गम्भीर चिन्तन के लिए!!
बुराईयां और अच्छ...आभार!! इस गम्भीर चिन्तन के लिए!!<br /><br />बुराईयां और अच्छाईयां जगत में सदैव ही विद्यमान रही है। प्रश्न यह है कि लोग किस प्रकार बुराई से दूर रहे और अच्छाई ही अपनाए।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3843971247209653970.post-90520776140594718632012-01-05T13:41:55.689+05:302012-01-05T13:41:55.689+05:30दुर्भाग्य है देश का ... जनता को अफीम खिला खिला के ...दुर्भाग्य है देश का ... जनता को अफीम खिला खिला के निढाल बना दिया गया है ...<br />आपको वन वर्ष की मंगल कामनाएं ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3843971247209653970.post-15571118039203474972012-01-04T09:40:27.535+05:302012-01-04T09:40:27.535+05:30@अनवर जी-आपके कमेन्ट बड़े ही सुन्दर हैं, कृपया आगे...@अनवर जी-आपके कमेन्ट बड़े ही सुन्दर हैं, कृपया आगे के भाग में और जानकारी दें. ताकि इस विषय पर और बात की जा सके.भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3843971247209653970.post-70223905486568200682012-01-03T21:41:31.979+05:302012-01-03T21:41:31.979+05:30हक़ीक़त को पाने के लिए गहरी नज़र की ज़रूरत पड़ती है
@ भ...<b>हक़ीक़त को पाने के लिए गहरी नज़र की ज़रूरत पड़ती है</b><br />@ भारतीय नागरिक जी ! यह दुनिया है, यहां असल के साथ नक़ल भी हैं और कामिल शैख़ के साथ यहां पाखंडी भी हैं।<br />मक्कार लोग सूफ़ी और योगी बनकर माल इकठ्ठा कर रहे हैं और उन्हें देखकर अक्लमंद लोगों में धर्म-अध्यात्म के प्रति शक पैदा होने लगता है।<br />जो सत्य की खोज में है, उसे बहुत होशियार रहना चाहिए। <br /><br />दीन सरासर रहमत है और आसान है। दुनिया की ज़िंदगी को सही उसूलों के मुताबिक़ गुज़ारना ही दीन है। इसी को धर्म कहा जाता है। दीन-धर्म के कुछ ज़ाहिरी उसूल होते हैं जिन्हें बरत कर इंसान एक अच्छे चरित्र का मालिक बनता है और समाज में इज़्ज़त पाता है। इन उसूलों के पीछे वे अक़ीदे और वे गुण होते हैं जो कि दिल में पोशीदा होते हैं। इन्हीं में से एक मुहब्बत है। <br /><br />दीन-धर्म की बुनियाद ईश्वर अल्लाह की मुहब्बत पर होती है। जो दिल इस मुहब्बत से ख़ाली होता है वह दीन-धर्म पर चल ही नहीं सकता। यही वह प्रेम है जिसके ढाई आखर पढ़े बिना कोई ज्ञानी नहीं हो सकता।<br />जिससे मुहब्बत होती है उसकी याद दिल में बस जाती है और बार बार उसका चर्चा ज़बान से भी होता है। ज़िक्र और सुमिरन की हक़ीक़त यही है। दुनिया में जितने भी लोग किसी धर्म-मत को मानते हैं, वे ईश्वर अल्लाह का नाम ज़रूर लेते हैं।<br />हज़ारों नाम हैं एक मालिक के <br /><br />हरेक आस्तिक अपने पैदा करने वाले को किसी न किसी नाम से याद करता ही है। जो जिस ज़बान को जानता है, उसी में उसका नाम लेता है। हरेक ज़बान में उसके सैकड़ों-हज़ारों नाम हैं। उसका हरेक नाम सुंदर और रमणीय है। ‘रमणीय‘ को ही संस्कृत में राम कहते हैं। ईश्वर से बढ़कर रमणीय कोई भी नहीं है। कोई उसका नाम ‘राम राम‘ जपता है तो कोई ‘अल्लाह अल्लाह‘ कहता है। अलग अलग ज़बानों में लोग अलग अलग नाम लेते हैं। योगी भी नाम लेता है और सूफ़ी भी नाम लेता है। यहां सृष्टा को राम कहा गया है जो कि दशरथपुत्र रामचंद्र जी से भिन्न और अजन्मा-अविनाशी है।<br />हक़ीक़त को पाने के लिए गहरी नज़र, कड़ी साधना और निष्पक्ष विवेचन की ज़रूरत पड़ती है। <br />और ज़्यादा तफ़सील जानने के लिए देखें-<br /><a href="http://vedquran.blogspot.com/2012/01/sufi-silsila-e-naqshbandiya.html" rel="nofollow"><b>सूफ़ी साधना से आध्यात्मिक उन्नति आसान है Sufi silsila e naqshbandiya </b></a>DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3843971247209653970.post-9785432810138027032012-01-03T20:55:33.459+05:302012-01-03T20:55:33.459+05:30बिलकुल ठीक कहा जमाल साहब. जब आदमी ईश्वर के प्रति ल...बिलकुल ठीक कहा जमाल साहब. जब आदमी ईश्वर के प्रति लीन हों जाता है तो उसे फिर यह नहीं दिखाई देता कि मस्जिद कहाँ और मंदिर कहाँ. जाकी रही भावना जैसी....आप मंदिर में भगवान राम में अपने निराकार ईश्वर के वुजूद को खोज सकते हैं. अगर लक्ष्य एक है तो रास्ते की परवाह क्या. एक वक्त या एक से अनेक वक्त की प्रार्थना और राम नाम का सुमिरन. अगर पहुंचना एक जगह है तो रास्ता जिसे जो बढ़िया लगे. ये कोई दुकान जैसा थोड़े ही है कि मेरा माल तुम्हारे से अधिक बढ़िया.भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3843971247209653970.post-85942628836666050382012-01-03T10:04:29.248+05:302012-01-03T10:04:29.248+05:30"ब्लॉगर्स मीट वीकली (24) Happy New Year 2012&...<a href="http://blogkikhabren.blogspot.com/" rel="nofollow"><b>"ब्लॉगर्स मीट वीकली (24) Happy New Year 2012":</b></a> में आयें .<br />आपको यहाँ कुछ नया और हट कर मिलेगा .DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3843971247209653970.post-44081393491508658132012-01-03T09:31:47.817+05:302012-01-03T09:31:47.817+05:30@ भारतीय नागरिक जी ! आप
"ब्लॉगर्स मीट वीकली (...@ भारतीय नागरिक जी ! आप<br /><b>"ब्लॉगर्स मीट वीकली (24) Happy New Year 2012": </b> में आयें .<br />आपको यहाँ रूमाल और चादर दोनों मिलेंगे . देख कर फर्क आसानी से समझ में आ जायेगा .<br />http://hbfint.blogspot.com/2012/01/24-happy-new-year-2012.html<br /><br />धन्यवाद .<br /><br />और एक जगह यह भी है जहाँ आपको अच्छा लगेगा -<br /><b>सूफ़ी तरीक़े से आत्म विकास का सिलसिला</b><br />http://www.testmanojiofs.com/2011/12/1.html<br /><br />हरेक आस्तिक अपने पैदा करने वाले को किसी न किसी नाम से याद करता ही है।<br />उसके नाम लेने के बहुत से तरीक़े हैं।<br />भक्त जब अपने प्रभु का नाम लेता है तो कुछ समय बाद यह नाम उसके दिल में बस जाता है।<br />नक्शबंदी सूफ़ियों की तालीम में हमने देखा है कि उनकी एक तवज्जो (शक्तिपात) से ही रब का नाम मुरीद के दिल से जारी हो जाता है यानि चाहे वह किसी से बात कर रहा हो या कुछ और ही सोच रहा हो या सो रहा हो लेकिन रब का नाम उसके दिल से लगातार जारी रहता है। जिसे अगर शैख़ चाहे तो मुरीद अपने कानों से भी सुन सकता है बल्कि पूरा मजमा उसके दिल से आने वाली आवाज़ को सुन सकता है। थोड़े ही दिन बाद बिना किसी भारी साधना के यह नाम शरीर के हरेक रोम से और ख़ून के हरेक क़तरे से जारी हो जाता है। इसे ‘सुल्तानुल अज़्कार‘ कहते हैं और मुरीद इस मक़ाम को 3 माह से भी कम अवधि में पा लेता है। इसके आगे की मंज़िलें ‘फ़ना और बक़ा‘ से ताल्लुक़ रखती हैं। जहां मुरीद अपने सूक्ष्म अस्तित्व का बोध करता है।<br />यहां आकर हरेक आदमी जान लेता है कि भेद की दीवार हक़ीक़त में कोई वुजूद नहीं रखती है।<br />हरेक जगह वह एक ही नूर को देखता है।<br />सूफ़ी तरीक़े से आत्म विकास का सिलसिला<br />यह नूर वह होता है जो हरेक चीज़ की पैदाइश की वजह है जिसे हिन्दू भाई ‘परमात्मा‘ कहते हैं और मुसलमान इसे ‘नूर ए मुहम्मदी‘ कहते हैं। यही वह नूर है जिसके बारे में हज़रत गुरू नानक रहमतुल्लाह अलैहि ने फ़रमाया है कि ‘अव्वल अल्लाह नूर उपाया , क़ुदरत ते सब बंदे‘।<br />यह नूर ईश्वर-अल्लाह का अंश नहीं है बल्कि उसके गुणों का प्रतिबिंब है।<br />जो लोग इस नूर को ईश्वर का अंश समझ लेते हैं वे ‘अनल हक़‘ और ‘अहं ब्रह्मस्मि‘ कहने लगते हैं।<br />जो लोग इस मंज़िल से आगे निकल जाते हैं वे ब्रह्म को परब्रह्म कहते हैं और यह जान लेते हैं कि परब्रह्म अचिन्त्य और अविज्ञेय है, वह कल्पनातीत है। इसी कैफ़ियत को सूफ़ी लोग ‘वरा-उल-वरा‘ कहते हैं।<br />ख़ास बात यह है कि यह सब ये लोग अपने दिमाग़ से सोच सोच कर नहीं करते बल्कि ये सब उनकी अपनी निजी अनुभूतियां होती हैं।<br />ऐसी अद्भुत अनुभूतियों के साक्षी लोग दुनिया को प्यार और अम्न का रास्ता ही दिखाते हैं और बिल्कुल सही दिखाते हैं।<br />जिसे आत्मा, परमात्मा, परमेश्वर और स्वर्ग-नर्क में संदेह हो, सू़फ़ी तरीक़े से साधना के बाद यह संदेह हमेशा के लिए दूर हो जाता है। <br />तब आत्मा उसके लिए मात्र तर्क का ही विषय नहीं रह जाती बल्कि यह उसकी देखी और जानी हुई हक़ीक़त होती है।<br />जीवन और मृत्यु का रहस्य जानने वाले यही लोग होते हैं। <br />अमरता की सिद्धि यहीं होती है। <br />आम लोगों की तरह मौत सूफ़ियों को भी आती है लेकिन यह उनकी जागृति के कारण उन्हें एक व्यापक जीवन की ओर ले जाती है जबकि साधारण आत्माएं सुषुप्ति की दशा में पड़ी रहती हैं।<br />नींद मौत है और जीवन के लिए जागरण और बोध अनिवार्य है।<br /><br />जहां आम लोगों ने ज्ञान का केवल बाह्य पक्ष ही लिया , वहीं सूफ़ियों ने ज्ञान के दोनों प्रकार लिए हैं।<br />ज्ञान का वह प्रकार भी उन्होंने लिया जिसे तर्क से जाना जा सकता है और ज्ञान का वह आंतरिक प्रकार भी जो बुद्धि की सीमा से परे है और जिसके लिए एकाग्रता और संयम के साथ साधना करनी पड़ती है।<br /><br />आपको हमारी बात में सार नज़र आया। <br />आपका शुक्रिया !<br />http://www.facebook.com/note.php?note_id=282808855103739DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3843971247209653970.post-52600458030151389222012-01-02T23:37:31.542+05:302012-01-02T23:37:31.542+05:30@अनवर जमाल जी- कृपया इस रूमाल और चादर के विषय में ...@अनवर जमाल जी- कृपया इस रूमाल और चादर के विषय में पूर्ण विस्तार से बताएं. आपके उत्तर की प्रतीक्षा है.भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3843971247209653970.post-27967373701577400712012-01-02T22:07:28.472+05:302012-01-02T22:07:28.472+05:30अवैध रूप से कमाए गए धन के व्यय पर रोक लग सके तो ल...अवैध रूप से कमाए गए धन के व्यय पर रोक लग सके तो लोग स्वयं ही इससे दूर हो जायेंगे! एक सार्थक समाधान ----आभार --- आपको एवं आपके परिवार को नए वर्ष की ढेरों शुभकामनाएं !ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3843971247209653970.post-40386183840499332002012-01-02T16:44:03.352+05:302012-01-02T16:44:03.352+05:30भ्रष्टाचार के विषय में और खासकर आम आदमी के भ्रष्टा...भ्रष्टाचार के विषय में और खासकर आम आदमी के भ्रष्टाचार के सम्बन्ध में जितनी बातें आपने कहीं उसमें किसी तरह का विरोध नहीं है.. दरसल पारदर्शिता का अभाव अज्ञानता पैदा करता है व्यवस्था के प्रति और अज्ञानता से जन्म होता है भ्रष्टाचार का.. <br />आपने रेलवे का उदाहरण दिया है.. याद करें वे दिन जब एक बुकिंग क्लर्क की खुशामद से सीट पाने का कार्यक्रम शुरू होता था जो ट्रेन में टीटी की खुशामद तक जाता था.. जबसे नेट पर यह सुविधा उपलाब्ध हुयी, इसमें उस समय की तुलना में कमी आई है.. (समाप्त हुआ ऐसा नहीं है).. मैं बैंक में काम करता हूँ... हमारे नियमों में परिवर्तन हमारे पास आने से पहले ग्राहकों के पास होते हैं.. इसलिए नियम की आड़ में होने वाले भ्रष्टाचार नहीं हैं.. (मुक्त तो यह व्यवस्था भी नहीं)... इनकम टैक्स विभाग से जब नोटिस मिलाती है तो नोटिस भेजने वाला यह नहीं बताता कि किस आधार पर नोटिस भेजी है, यह आपको बताना है कि आपने सही टैक्स जमा करवाया है.. मिलिए, खर्च कीजिये तो सारा हिसाब ठीक...!!सम्वेदना के स्वरhttps://www.blogger.com/profile/12766553357942508996noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3843971247209653970.post-24949647059312483122012-01-01T23:04:55.742+05:302012-01-01T23:04:55.742+05:30@अनवर जमाल जी-रुमाल और चादर के विषय में थोडा विस्त...<b>@अनवर जमाल जी-रुमाल और चादर के विषय में थोडा विस्तार से बताएं.</b><br />के विषय में <br /><br />♥ कुछ देर के लिए मालिक का नाम जपना या उसका ध्यान करना एक ऐसा काम है जिसमें मेहनत कम है जबकि पूरे जीवन को उसकी मर्जी के मुताबिक़ ढालना एक बड़ा काम है . छोटे काम का फल छोटा और बड़े काम का फल बड़ा होता है , <br />जैसे कि रूमाल से केवल सर ढका जा सकता है जबकि चादर पूरे शरीर को ढक सकती है.DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3843971247209653970.post-18562878278685694252012-01-01T21:26:38.440+05:302012-01-01T21:26:38.440+05:30बहोत अच्छा लगा आपका ब्लॉग पढकर ।
नया हिंदी ब्लॉग ...बहोत अच्छा लगा आपका ब्लॉग पढकर ।<br /><br />नया हिंदी ब्लॉग <br /><br /><a href="http://hindiduniyablog.blogspot.com/" rel="nofollow">हिन्दी दुनिया ब्लॉग</a>Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3843971247209653970.post-58723338755297418392012-01-01T20:02:13.135+05:302012-01-01T20:02:13.135+05:30@अनवर जमाल जी-रुमाल और चादर के विषय में थोडा विस्त...@अनवर जमाल जी-रुमाल और चादर के विषय में थोडा विस्तार से बताएं.भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3843971247209653970.post-7318879145984896952012-01-01T18:46:00.769+05:302012-01-01T18:46:00.769+05:30@ भारतीय नागरिक जी ! आपने बिल्कुल सही बात कही है क...@ भारतीय नागरिक जी ! आपने बिल्कुल सही बात कही है कि राम-राम करने से भी बहुत शांति मिलती है। नमाज़ में भी राम का ही नाम लिया जाता है।<br />इसी के साथ आप यह भी जान लें कि रूमाल की जगह रूमाल और चादर की जगह चादर ही काम आती है।<br />सुमिरन के लाभ अपनी जगह हैं लेकिन धरती से अन्याय और भ्रष्टाचार का ख़ात्मा केवल ईश्वर अल्लाह के आदेश निर्देश पर ही चलकर हो सकता है, केवल उसका नाम जपने से या कोई आंदोलन चलाने से नहीं हो सकता।<br />विफल आंदोलनों की लंबी सूची यही बता रही है।<br />यह धरती कभी आध्यात्मिकता से भरी पूरी हुआ करती थी लेकिन आज अध्यात्म और योग को भी व्यवसाय बना लिया गया है।<br />राम नाम जो शांति देता है, उसे भी अशांति फैलाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।<br />ईश्वर-अल्लाह की यह आज्ञा तो कहीं भी नहीं है और किसी भी भाषा में नहीं है।<br /><br />चिंतन सकारात्मक और एक सार्थक रचना प्रस्तुत करने के लिए आभार !<br /><br /><b>Ram in muslim poetry, second beam चराग़ ए हिदायत और इमाम ए हिन्द हैं राम - Anwer Jamal<br />राम</b><br />लबरेज़ है शराबे हक़ीक़त से जामे हिन्द<br />सब फ़लसफ़ी हैं खि़त्ता ए मग़रिब के राम ए हिन्द<br />यह हिन्दियों के फ़िक्र ए फ़लक रस का है असर<br />रिफ़अ़त में आसमां से भी ऊंचा है बामे हिन्द<br />इस देस में हुए हैं हज़ारों मलक सरिश्त<br />मशहूर जिनके दम से है दुनिया में नाम ए हिन्द<br />है राम के वुजूद पे हिन्दोस्तां को नाज़<br />अहले नज़र समझते हैं उसको इमाम ए हिन्द<br />ऐजाज़ उस चराग़ ए हिदायत का है यही<br />रौशनतर अज़ सहर है ज़माने में शाम ए हिन्द<br />तलवार का धनी था शुजाअत में फ़र्द था<br />पाकीज़गी में जोश ए मुहब्बत में फ़र्द था<br />-बांगे दिरा मय शरह उर्दू से हिन्दी, पृष्ठ 467, एतक़ाद पब्लिशिंग हाउस, नई दिल्ली 2<br />शब्दार्थ- लबरेज़-लबालब भरा हुआ, शराबे हक़ीक़त-तत्वज्ञान, ईश्वरीय चेतना, आध्यात्मिक ज्ञान, खि़त्ता ए मग़रिब-पश्चिमी देश, राम ए हिन्द-हिन्दुस्तान के अधीन (‘राम‘ यहां फ़ारसी शब्द के तौर पर आया है जिसका अर्थ है आधिपत्य), फ़िक्र ए फ़लक रस-आसमान तक पहुंच रखने वाला चिंतन, रिफ़अत-ऊंचाई, बामे हिन्द-हिन्दुस्तान का मक़ाम, मलक सरिश्त-फ़रिश्तों जैसा निष्पाप, अहले नज़र-तत्वदृष्टि प्राप्त ज्ञानी, इमाम ए हिन्द-हिन्दुस्तान का रूहानी पेशवा, ऐजाज़-चमत्कार, चराग़ ए हिदायत-धर्म मार्ग दिखाने वाला दीपक, रौशनतर अज़ सहर-सुबह से भी ज़्यादा रौशन, शुजाअत-वीरता, पाकीज़गी-पवित्रता, फ़र्द-यकता, अपनी मिसाल आप<br />गागर में सागर<br />अल्लामा इक़बाल की यह नज़्म ‘गागर में सागर‘ का एक बेहतरीन नमूना है। इस एक नज़्म की व्याख्या के लिए एक पूरी किताब चाहिए, यह एक हक़ीक़त है। मस्लन इसमें ‘शराबे हक़ीक़त‘ से हिन्दुस्तानी दिलो-दिमाग़ को भरा हुआ बताया गया है। <br /><a href="http://vedquran.blogspot.com/2010/10/ram-in-muslim-poetry-second-beam-anwer.html" rel="nofollow"><b>Ram in muslim poetry,चराग़ ए हिदायत और इमाम ए हिन्द हैं राम - Anwer Jamal</b></a>DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3843971247209653970.post-80291916099570947142012-01-01T18:41:31.036+05:302012-01-01T18:41:31.036+05:30This comment has been removed by the author.DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3843971247209653970.post-47867757195288591462012-01-01T15:47:21.127+05:302012-01-01T15:47:21.127+05:30प्रस्तुति अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट पर आप आमंत्रित...प्रस्तुति अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट पर आप आमंत्रित हैं । नव वर्ष की अशेष शुभकामनाएं । धन्यवाद ।प्रेम सरोवरhttps://www.blogger.com/profile/17150324912108117630noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3843971247209653970.post-42929561972204543232012-01-01T12:52:55.448+05:302012-01-01T12:52:55.448+05:30आपको और परिवारजनों को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ...आपको और परिवारजनों को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ.Deepak Sainihttps://www.blogger.com/profile/04297742055557765083noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3843971247209653970.post-58806584881178190152012-01-01T11:16:30.874+05:302012-01-01T11:16:30.874+05:30आपसे सहमत.
ये ही बात मैंने कई बार विभिन्न ब्लोगों ...आपसे सहमत.<br />ये ही बात मैंने कई बार विभिन्न ब्लोगों पर कही भी हैं.वैसे भी आम आदमी के रहनुमाओं की ज्यादा बडी जिम्मेदारी बनती है.राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3843971247209653970.post-11163199570957128422011-12-31T19:26:46.422+05:302011-12-31T19:26:46.422+05:30हमारी प्रोग्रामिंग इतनी ख़राब हो चुकी है कि पूरी ए...हमारी प्रोग्रामिंग इतनी ख़राब हो चुकी है कि पूरी एक पीढ़ी चाहिए वांछित माहौल के लिए। क्यों न हम इस पोस्ट के संदेशों के साथ हम नववर्ष में प्रवेश करें!कुमार राधारमणhttps://www.blogger.com/profile/10524372309475376494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3843971247209653970.post-45394083477784406872011-12-31T11:43:37.911+05:302011-12-31T11:43:37.911+05:30हर शाख पे उल्लू बैठा है
अंजाम ए गुलिस्तान क्या...हर शाख पे उल्लू बैठा है <br />अंजाम ए गुलिस्तान क्या होगा ?..उतिष्ठकौन्तेयL.R.Gandhihttps://www.blogger.com/profile/00227090318128258228noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3843971247209653970.post-68266293416263727642011-12-31T11:23:09.536+05:302011-12-31T11:23:09.536+05:30आम आदमी को कोई भी काम करवाने के लिए अलग से चढ़ावा ...आम आदमी को कोई भी काम करवाने के लिए अलग से चढ़ावा चढाने की आवश्यकता क्यों कर पैदा हुई. इसके लिए वे कैसे दोषी माने जा सकते है. आपसे पूरी तरह सहमत. प्रवीण पण्डे जी से भी सहमत.P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3843971247209653970.post-54047197221586597662011-12-31T09:14:38.221+05:302011-12-31T09:14:38.221+05:30व्यवस्थायें पारदर्शी और सरल बनाने के अतिरिक्त और क...व्यवस्थायें पारदर्शी और सरल बनाने के अतिरिक्त और कोई उपाय नहीं है, ढेरों तन्त्र ऐसे हैं जो पारदर्शिता के कारण ही भ्रष्टाचार के चुंगुल से निकल पाये हैं।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3843971247209653970.post-9888591260813107352011-12-31T08:11:50.130+05:302011-12-31T08:11:50.130+05:30vah to suvidha shulk hai .vah to suvidha shulk hai .dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }https://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3843971247209653970.post-33244798530452219682011-12-31T07:54:33.377+05:302011-12-31T07:54:33.377+05:30आपकी तमाम बातों से सहमत! बहुत कठिन है डगर पनघट की!...आपकी तमाम बातों से सहमत! बहुत कठिन है डगर पनघट की! :(अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3843971247209653970.post-51406972358423745732011-12-31T04:03:49.011+05:302011-12-31T04:03:49.011+05:30आपके आलेख के किसी भी बिन्दु से असहमत होने का प्रश्...आपके आलेख के किसी भी बिन्दु से असहमत होने का प्रश्न ही नहीं उठता। भ्रष्ट शक्तिशाली अधिकारी अपने आधिकारिक बल के द्वारा अपने स्वार्थ को हर प्रकार के व्यक्ति पर थोपता है। गिने-चुने लोग ऐसे भ्रष्टाचार के खिलाफ़ जंग भी लड़ते हैं परंतु अलग-थलग पड़ जाते हैं। कुछ लोग मजबूरी में भ्रष्टाचार को हवा देते हैं जबकि अपराधी प्रवृत्ति के लोग ऐसी बुराइयों के साथ मिलकर फ़ायदा उठाते हैं। दुख यह है कि कई बार ईमानदार लोग भी अज्ञानवश ऐसे लोगों के भ्रष्ट अचीवमेंट्स का विरोध करने के बजाय बधाई देने और उनकी हार पर मानवतावश सहानुभूति करने पहुँच जाते हैं। भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई तभी लड़ी जा सकती है जब सज्जन वर्ग न केवल सशक्त और संगठित हो वह यह भी पहचाने कि अपने फ़ायदे के लिये ईमानदारी का राग अलापने वाला हर व्यक्ति भी ईमानदार नहीं होता। बहुत सुन्दर आलेख। आपके मन की व्यथा लाखों ईमानदारों की व्यथा है।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.com